इसरो ने गगनयान मिशन के पहले मानवरहित उड़ान के लिए क्रू मॉड्यूल को श्री हरिकोटा भेज दिया है। यह कदम भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की तैयारी में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
भारत के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, इसरो ने गगनयान मिशन के पहले मानवरहित उड़ान की तैयारी में एक बड़ी सफलता हासिल की है। 21 जनवरी 2025 को, इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) ने गगनयान (जी1) के पहले मानवरहित मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा भेज दिया। यह कदम इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के प्रति उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और समर्पण को दर्शाता है।
गगनयान, भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसका उद्देश्य 2025 तक 400 किमी. की ऊंचाई पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना है। इस मिशन के तहत तीन सदस्यीय दल को 400 किमी. की कक्षा में भेजने का लक्ष्य है, जो अंतरिक्ष में तीन दिन बिताएंगे, और फिर भारतीय समुद्री जल में सुरक्षित रूप से लौटेंगे। यह मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए डिजाइन किया गया है, और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसरो पूरी तत्परता से काम कर रहा है।
इसकी तैयारी के तहत, इसरो ने क्रू मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (सीएमपीएस) को पूर्ण किया है, जो अंतरिक्ष यान के पिच, यॉ और रोल नामक तीन प्रमुख दिशाओं में सटीक नियंत्रण सुनिश्चित करेगा। इस सिस्टम में 12 100 न्यूटन थ्रस्टर्स और उच्च दबाव गैस बोतलों के साथ प्रोपल्शन फीड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है, जो अंतरिक्ष यान को सही दिशा में बनाए रखने में मदद करेगा। इन थ्रस्टर्स का उद्देश्य क्रू मॉड्यूल को सही दिशा में रखना है, ताकि मिशन की सफलता सुनिश्चित हो सके।
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा डिजाइन किया गया क्रू मॉड्यूल अपराइटिंग सिस्टम (सीएमयूएस) भी शामिल है। इसके अलावा, इसरो के मॉड्यूल को यूआर राव सैटेलाइट सेंटर, बंगलूरू भेजने से पहले कई महत्वपूर्ण परीक्षण और एकीकरण कार्य भी किए जाएंगे, जिनमें एवियोनिक्स पैकेज असेंबली, इलेक्ट्रिकल हार्नेसिंग और अन्य महत्वपूर्ण जांचें शामिल हैं।
गगनयान मिशन केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस मिशन से न सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक नई दिशा मिलेगी, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा देगा।
इसरो की योजना है कि गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में जाएं, वहां कुछ दिन बिताएं और फिर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौटकर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाएं।
क्या यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा को एक नई दिशा देगा? क्या इसरो अपनी योजनाओं को समय पर पूरा कर पाएगा? गगनयान मिशन के सफल होने से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र दुनिया के सबसे अग्रणी देशों की सूची में खड़ा हो सकता है, और यह निश्चित रूप से आने वाले समय में एक ऐतिहासिक पल बनेगा।
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