क्या था सर्वे का मुद्दा?
दरअसल, जामा मस्जिद को लेकर एक नया विवाद सामने आया था। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन ने शाही जामा मस्जिद को लेकर एक अजीब दावा किया था। उनका कहना था कि यह मस्जिद दरअसल एक प्राचीन हिंदू मंदिर—हरिहर मंदिर—का हिस्सा है। इस दावे के बाद, सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने आदेश दिया कि मस्जिद का सर्वे किया जाए, ताकि इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला लिया जा सके।
सर्वे के दौरान भड़की हिंसा
19 नवंबर को, जब सर्वे की टीम मस्जिद में वीडियोग्राफी के लिए पहुंची, तो माहौल अचानक गरमा गया। एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव के नेतृत्व में, डीएम और एसपी की मौजूदगी में सर्वे की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, जैसे ही सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई, बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। कुछ लोगों ने मस्जिद में घुसने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान भीड़ ने पथराव करना शुरू कर दिया और माहौल बेकाबू हो गया।
भीड़ ने न सिर्फ पथराव किया, बल्कि पुलिस की वाहनों में भी आग लगा दी। स्थिति इतनी खराब हो गई कि पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले फेंकने के बावजूद जब हालात काबू में नहीं आए, तो पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी।
तीन की मौत, पुलिसकर्मियों की चोटें
पथराव और फायरिंग की इस झड़प में तीन लोग मारे गए। मृतकों में नईम गाजी, रुमाल खां और बिलाल अंसारी शामिल थे। इसके अलावा, इस हिंसा में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिनमें डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू, सीओ अनुज चौधरी, और संभल के प्रभारी निरीक्षक अनुज तोमर जैसे बड़े अधिकारी भी शामिल थे।
इंटरनेट सेवा बंद और अफवाहों का दौर
सांस लेने की भी मोहलत नहीं मिली थी, कि अफवाहों ने और अधिक गर्मी बढ़ा दी। डर था कि सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें और अधिक हिंसा को जन्म न दे दें। इस पर प्रशासन ने तात्कालिक कदम उठाते हुए, संभल में इंटरनेट सेवा बंद कर दी।
कमिश्नर और डीआईजी का मोर्चा संभालना
घटना के बाद, संभल के कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह और डीआईजी मुनिराज जी ने मोर्चा संभाला। दोनों अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे थे और हालात को काबू में करने की पूरी कोशिश कर रहे थे। कमिश्नर ने बताया कि जामा मस्जिद के बाद नखासा क्षेत्र में भी पथराव की घटनाएं सामने आईं, और वहां से कुछ महिलाओं सहित कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया।
कोर्ट का आदेश और विवाद की गंभीरता
इस विवाद ने सिर्फ संभल तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे जिले में तनाव का माहौल बना दिया। अदालत ने यह आदेश दिया था कि इस मामले में दोनों पक्षों को सुना जाएगा, और उसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अदालत के निर्देश के बाद, यह तय किया गया कि मामले की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी की जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की विवादास्पद स्थिति से बचा जा सके।
संभल में स्थिति अब काबू में
हालांकि, पुलिस ने उपद्रवियों को काबू करने में सफलता पाई, लेकिन यह घटना यह साबित करती है कि किसी भी संवेदनशील मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रशासन की सूझबूझ और तत्परता बेहद जरूरी है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने स्थिति को नियंत्रण में बताया और कहा कि उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जामा मस्जिद का विवाद, जो एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल से जुड़ा हुआ है, अब संभल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। पुलिस और प्रशासन की चुनौती यही है कि इस विवाद को शांति और कानून के दायरे में सुलझाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हालात न बनें।
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