संसद में एक शब्द ने नया विवाद खड़ा कर दिया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक कथित बयान ने तमिलनाडु के सांसदों और पूरे राज्य को नाराज कर दिया। जब प्रधान ने संसदीय चर्चा के दौरान तमिलनाडु के सांसदों को "असभ्य" कहा, तो डीएमके की वरिष्ठ नेता कनिमोझी करुणानिधि आग बबूला हो गईं। उन्होंने इसे न केवल अपमानजनक बल्कि असंसदीय शब्द करार दिया और केंद्रीय मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दाखिल किया।
कनिमोझी ने कहा, "असभ्य शब्द का इस्तेमाल हमारे मुख्यमंत्री और सांसदों के खिलाफ घातक है। यह शब्द किसी भी व्यक्ति के लिए नहीं होना चाहिए, खासकर उन नेताओं के खिलाफ जो जनता द्वारा चुने गए हैं।" इस बयान के बाद, मामला न केवल राज्य राजनीति में बल्कि पूरे देश की राजनीतिक चर्चा में तूल पकड़ गया।
तमिलनाडु और तीन-भाषा नीति का विवाद: एक पुरानी खाई जो गहरी होती जा रही है
धर्मेंद्र प्रधान का यह बयान उस समय आया जब तीन-भाषा नीति को लेकर तमिलनाडु में पहले से ही विरोध हो रहा था। प्रधान के बयान ने तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को भड़काया, क्योंकि राज्य ने हमेशा से दो-भाषा नीति का पालन किया है, जिसमें तमिल और अंग्रेजी शामिल हैं। डीएमके नेताओं का कहना है कि हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करने का प्रयास, छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डालने जैसा है।
कनिमोझी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार दक्षिणी राज्यों के विकास को लेकर गंभीर नहीं है और केवल उत्तरी राज्यों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। उनका कहना था, "दक्षिणी भारत ने परिवार नियोजन का पूरी तरह पालन किया है, जबकि उत्तरी भारत में शिक्षा, बिजली, और बुनियादी सुविधाओं की कमी है।" उनका ये भी कहना था कि सरकार को अब उन राज्यों के लिए भी काम करना चाहिए जो विकास से वंचित हैं।
'असभ्य' शब्द से उत्पन्न विवाद: क्या यह केवल एक गलती थी या बड़ी साजिश?
कनिमोझी ने इस विवाद को न सिर्फ एक शब्द की गलती माना, बल्कि इसे राज्य के लोगों के अपमान और केंद्रीय सरकार की ओर से राज्यव्यवस्था में हस्तक्षेप के रूप में देखा। उनकी यह प्रतिक्रिया और संसद में विशेषाधिकार हनन का नोटिस यह संकेत दे रहे हैं कि इस मुद्दे पर टकराव जल्द शांत नहीं होने वाला।
क्या यह विवाद केवल एक शब्द की चूक था, या फिर एक गहरी राजनीतिक असहमति का संकेत है? क्या इस तकरार के बाद तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच संबंध और भी तनावपूर्ण होंगे? यह सवाल संसद के गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है।