पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में मंगलवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। यहां एक झुग्गी में लगी भीषण आग में तीन मजदूरों की जलकर मौत हो गई। हादसे में एक गैस सिलेंडर भी फट गया, जिससे आग और भी भयावह हो गई। यह घटना सोमवार रात हुई, जब चार अस्थायी मजदूर अपने टेंट में सो रहे थे।
आग लगने के बाद तीन लोग तो बचने में सफल नहीं हो पाए, जबकि एक व्यक्ति किसी तरह से बाहर निकलने में कामयाब रहा, लेकिन वह भी गंभीर रूप से घायल हो गया। मृतकों में श्याम सिंह, कांता प्रसाद और जागे सिंह शामिल हैं, जो आईजीएल कंपनी के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम करते थे। ये लोग अस्थायी टेंट में रह रहे थे, क्योंकि वे पाइपलाइन परियोजना के काम के लिए दिल्ली में आए थे।
हादसे की वजह बनी सुरक्षा की लापरवाही: क्या आपदा को टाला जा सकता था?
झुग्गी अवैध रूप से डीडीए की जमीन पर बनी हुई थी और लकड़ी के प्लाईबोर्ड से बनाई गई थी। अंदर रसोई सहित कई सामान रखे गए थे। रात के वक्त वहां रहने वाले लोग सुरक्षा के लिहाज से दरवाजे पर चेन बांधकर ताला लगा देते थे। वहीं, अस्थायी लाइट के रूप में वे डिब्बियों का उपयोग करते थे। बताया जा रहा है कि रात को आग लगने के बाद श्याम सिंह ने किसी तरह दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन ताला न खुलने के कारण वे बाहर नहीं निकल पाए। इस दौरान एक गैस सिलेंडर भी फट गया, जिससे आग और तेजी से फैल गई।
आखिरकार, दमकल विभाग की तीन गाड़ियों ने आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक बहुत कुछ खो चुका था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फायर ब्रिगेड, क्राइम टीम और एफएसएल टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
इस दर्दनाक हादसे ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अस्थायी टेंट में रहने वाले मजदूरों की सुरक्षा का कोई इंतजाम था, और क्या इस तरह के घटनाओं को टाला जा सकता था?