ग्रेटर नोएडा से सौरभ तिवारी की रिपोर्ट | Bharat News 360 TV
नमामि गंगे योजना के अंतर्गत ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब शहर के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) को आधुनिक तकनीक से लैस करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। इस योजना के तहत अब एसटीपी की रियल टाइम निगरानी एक क्लिक पर दफ्तर से ही संभव होगी। इसकी शुरुआत बादलपुर स्थित एसटीपी से कर दी गई है, जहां ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (OCMS) सफलतापूर्वक इंस्टॉल कर लिया गया है। अब ईकोटेक-2 और ईकोटेक-3 में भी यही सिस्टम लगाने की तैयारी चल रही है।
क्या है ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (OCMS)?
ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम एक डिजिटल निगरानी प्रणाली है जिसके माध्यम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की कार्यप्रणाली पर लाइव नजर रखी जा सकती है। इस सिस्टम की मदद से शुद्धिकरण से पहले और बाद में जल में उपस्थित BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और COD (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा, ट्रीटमेंट की दक्षता, आउटपुट क्वालिटी आदि की जांच रियल टाइम डाटा के माध्यम से की जा सकती है।
इस मॉनिटरिंग सिस्टम को छह अलग-अलग डिवाइसेज़—जैसे मोबाइल और लैपटॉप—से कनेक्ट किया जा सकता है। इससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक, परियोजना प्रबंधक, ठेकेदार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB), और नमामि गंगे परियोजना से जुड़ी अन्य अथॉरिटी भी इन प्लांट्स की निगरानी कर सकेंगी।
बादलपुर से शुरुआत, ईकोटेक 2 व 3 अगली कतार में
बादलपुर स्थित एसटीपी पर यह सिस्टम सबसे पहले लगाया गया है। यह प्लांट 2 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की क्षमता वाला है और अब इसके संचालन की सारी जानकारी प्राधिकरण के कंट्रोल रूम में उपलब्ध है। इससे पहले प्लांट्स की निगरानी के लिए मैनुअल इंस्पेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे कई बार समय पर तकनीकी गड़बड़ियों की जानकारी नहीं मिल पाती थी।
अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ईकोटेक-2 और ईकोटेक-3 में स्थित एसटीपी पर भी इस प्रणाली को दो सप्ताह के भीतर लागू करने की योजना बनाई है। ईकोटेक-2 की ट्रीटमेंट क्षमता 15 एमएलडी और ईकोटेक-3 की क्षमता 20 एमएलडी है। यहां भी सेटअप पूरा होते ही यह दोनों प्लांट रियल टाइम डाटा शेयर करने लगेंगे।
कासना एसटीपी के लिए टेंडर जारी
प्राधिकरण का सबसे बड़ा एसटीपी कासना में स्थित है, जिसकी क्षमता 137 एमएलडी है। यहां भी ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए आवश्यक टेंडर जारी कर दिया गया है और एक माह के भीतर कार्य शुरू होने की संभावना है।
वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया कि एक एसटीपी पर यह डिजिटल निगरानी प्रणाली स्थापित करने में लगभग 30 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। इस खर्च को प्राधिकरण स्वयं वहन कर रहा है। उन्होंने बताया कि यह खर्च दीर्घकालिक लाभ को देखते हुए पूर्णतः न्यायोचित है क्योंकि इससे प्रदूषण नियंत्रण और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में सहायता मिलेगी।
सीईओ एन. जी. रवि कुमार के निर्देश पर हो रहा कार्य
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एन. जी. रवि कुमार ने सीवर विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शहर के सभी एसटीपी पर यह आधुनिक मॉनिटरिंग सिस्टम शीघ्र लगाया जाए। सीवर विभाग ने तत्परता दिखाते हुए बादलपुर से शुरुआत कर दी है और अब क्रमबद्ध रूप से अन्य एसटीपी पर कार्य हो रहा है।
नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत हो रहा कार्य
यह पूरी योजना केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत संचालित हो रही है। इसका उद्देश्य नदियों, विशेषकर गंगा नदी में गिरने वाले अपशिष्ट जल की गुणवत्ता को नियंत्रित करना और प्रदूषण को कम करना है। उत्तर प्रदेश सहित अन्य गंगा बेसिन राज्यों में इस तरह की डिजिटल व्यवस्था लागू की जा रही है, ताकि एसटीपी की कार्यक्षमता में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सके।
डिजिटल निगरानी से कई फायदे
ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से निम्नलिखित प्रमुख लाभ होंगे:
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प्लांट के संचालन में पारदर्शिता आएगी
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तकनीकी खराबियों की तुरंत पहचान और समाधान संभव होगा
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बीओडी और सीओडी के मापदंडों पर निगरानी आसान होगी
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रियल टाइम डाटा मिलेगा
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मैनपावर पर निर्भरता घटेगी
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संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा
एसीईओ का बयान
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ ने कहा—
“सभी एसटीपी को ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने की योजना पर कार्य प्रगति पर है। बादलपुर एसटीपी पर इसकी शुरुआत हो चुकी है। अन्य प्लांट्स पर भी इस तकनीक को लगाया जाएगा। यह व्यवस्था एसटीपी के संचालन और उसकी गुणवत्ता पर नजर रखने में बहुत उपयोगी साबित होगी।”
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