महाकुंभ 2023 में 'नमामि गंगे' मिशन ने गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 45 दिनों तक एक ऐतिहासिक अभियान चलाया। इस अभियान में 500 गंगा सेवा दूतों और 2000 से अधिक अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मिलकर गंगा तट की सफाई की। प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, संगोष्ठी, और रैलियों के माध्यम से देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को गंगा की पवित्रता और स्वच्छता के महत्व से अवगत कराया गया। महाकुंभ में आयोजित इस विशेष अभियान ने न केवल गंगा की स्वच्छता को सुनिश्चित किया, बल्कि लोगों में पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी भी जागृत की।
महाकुंभ में मां गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक अभियान चला, जिसमें लाखों लोगों ने मिलकर अपने योगदान से गंगा की पवित्रता और उसकी स्वच्छता को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। 45 दिनों तक चला यह अभियान न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से आए श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठी पहल बन गया।
500 गंगा सेवा दूतों का समर्पण: गंगा की सफाई का जज्बा!
'नमामि गंगे' मिशन के तहत 500 गंगा सेवा दूतों ने महाकुंभ के मैदान में प्रवेश किया, और वहां से शुरू हुआ स्वच्छता का एक अभूतपूर्व अभियान। इस अभियान में 2000 से ज्यादा गंगा समिति के सदस्य, गंगा टास्क फोर्स, भारत स्काउट गाइड और गंगा विचार मंच के लोग भी जुड़े, जिन्होंने गंगा और पर्यावरण की सफाई के लिए दिन-रात एक कर दिया।
स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए डिजिटल प्रदर्शनी: एक नई दिशा की ओर
महाकुंभ में गंगा स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए नमामि गंगे ने डिजिटल प्रदर्शनी का आयोजन किया। इसके माध्यम से देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को गंगा के महत्व और उसकी स्वच्छता के बारे में जानकारी दी गई। यह प्रदर्शनी न केवल जानकारी देने वाली थी, बल्कि गंगा के प्रति श्रद्धा और संवेदनशीलता बढ़ाने का भी एक सशक्त माध्यम बन गई।
रैलियां, नुक्कड़ नाटक और संगोष्ठियां: गंगा के संरक्षण की गूंज
नमामि गंगे ने महाकुंभ में रैलियां, नुक्कड़ नाटक, संगोष्ठियां और प्रदर्शनी आयोजित कीं, जिनका उद्देश्य गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना था। इन आयोजनों में गंगा की स्वच्छता बनाए रखने का संदेश दिया गया, और श्रद्धालुओं को यह बताया गया कि अगर हम गंगा की रक्षा करेंगे, तो ही हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इसका आशीर्वाद ले पाएंगी।
स्वच्छता श्रमदान अभियान: संगम की रेत पर उठे अभियान के कदम
महाकुंभ में त्रिवेणी की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए स्वच्छता श्रमदान अभियान चलाया गया। इस अभियान में स्थानीय लोगों को नदी में प्लास्टिक और कचरा न फेंकने के लिए प्रेरित किया गया। संगम के पवित्र घाटों पर कूड़ा एकत्र कर सफाई की गई, जिससे गंगा के तट को फिर से उसकी असली सुंदरता मिली।
युवाओं ने निभाई अहम भूमिका: नाट्य विधा से गंगा संरक्षण का संदेश
महाकुंभ में गंगा और पर्यावरण संरक्षण पर युवाओं ने प्रभावशाली नाट्य विधा का सहारा लिया। यह नाटक गंगा के संरक्षण की महत्ता को समझाने और लोगों को जागरूक करने का प्रभावी माध्यम बन गए। नाटकों में गंगा की महिमा, स्वच्छता की जरूरत और पर्यावरण को बचाने का संदेश दर्शाया गया।

सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की जागरूकता
नमामि गंगे के प्रदर्शनी में आ रहे श्रद्धालुओं को पर्यावरण अनुकूल कपड़े के थैले वितरित किए गए। इस पहल ने लोगों में पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना को जागृत किया। महाकुंभ में आयोजित किए गए पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों ने समाज में जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को और मजबूत किया।
महाकुंभ का संदेश: 'स्वच्छ गंगा, हर घर में हर दिल में'
महाकुंभ के इस सफाई अभियान ने न केवल गंगा की स्वच्छता सुनिश्चित की, बल्कि इसे एक मिशन में तब्दील कर दिया, जिसमें हर भारतीय ने भाग लिया। इस अभियान ने पर्यावरण और गंगा की रक्षा को न केवल एक कर्तव्य, बल्कि एक गर्व की बात बना दिया है।

नमामि गंगे का एक और शानदार कदम: महाकुंभ में गंगा स्वच्छता की नई शुरुआत
जिला गंगा समिति, गंगा टास्क फोर्स, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, एनडीआरएफ, भारत स्काउट गाइड, और अन्य संगठनों ने मिलकर इस अभियान को सफल बनाया। महाकुंभ के समय चलाए गए इन अभियानों ने हर नागरिक को गंगा की स्वच्छता के महत्व से अवगत कराया और उसे जीवन का हिस्सा बना दिया।
गंगा की सफाई और पर्यावरण जागरूकता का यह अभियान महाकुंभ में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ, और आने वाले समय में यह एक प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा।