ग्रेटर नोएडा, 17 अप्रैल 2025 — गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के परिसर में आज एक अनोखा रंग देखने को मिला, जब म्यांमार से आए छात्रों ने अपने पारंपरिक नववर्ष थिंग्यान 1387 को उल्लास और भावनात्मक एकता के साथ मनाया। इस अवसर ने न केवल संस्कृति का उत्सव रचा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच सहयोग और करुणा का एक जीवंत उदाहरण भी पेश किया।

थिंग्यान, म्यांमार का पारंपरिक नववर्ष, हर साल अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण के साथ जुड़ा होता है — ‘मीन से मेष’ में प्रवेश, जो नया साल और नई ऊर्जा का प्रतीक है। इसका मूल संस्कृत शब्द ‘संक्रमण’ से आया है, और यह पर्व प्रकृति के बदलाव और आत्मिक शुद्धि की भावना को दर्शाता है।
इस रंगारंग आयोजन की खास बात थी जल अर्पण की परंपरा, जहाँ एक-दूसरे पर पानी छिड़ककर पुराने दुखों और पापों को धोने का प्रतीकात्मक संदेश दिया गया। म्यांमार की पारंपरिक मिठाई "मोंट लोन याय पो" (गुड़ से भरे चावल के गोले) बनाकर सभी ने मिलकर बाँटे, जिसने इस पर्व की साझेदारी और उदारता को दर्शाया।

13 से 17 अप्रैल तक चलने वाले इस उत्सव में केवल म्यांमार ही नहीं, बल्कि भारत, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया, ताइवान और श्रीलंका के छात्र और शिक्षक भी शामिल हुए। सभी ने मिलकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, पारंपरिक संगीत और व्यंजन का आनंद उठाया।
इस वर्ष का आयोजन खास इसलिए भी रहा क्योंकि छात्रों ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के पीड़ितों के लिए दान और सहायता प्रदान कर अपने देश के प्रति संवेदना और वैश्विक नागरिकता की भावना प्रकट की।
एक छात्रा ने भावुक होकर कहा, “यह केवल नववर्ष नहीं था, यह हमारी संस्कृति को साझा करने, दूसरों से सीखने और साथ मिलकर करुणा दिखाने का अवसर था।”
इस आयोजन ने सिद्ध किया कि संस्कृति की शक्ति सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ सकती है। गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय का परिसर आज वाकई में एक सांस्कृतिक संगम बन गया, जहाँ विविधता में एकता की भावना पूरे वातावरण में महसूस की गई।
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