पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक इन दिनों भारत भ्रमण पर हैं, जहां उन्होंने भारतीय रेलवे की तारीफ करते हुए ट्रेन संचालन की समयबद्धता को लेकर सुझाव दिए। वहीं, वर्धा में शिक्षा व्यवस्था की आलोचना करते हुए उन्होंने दिल और दिमाग के बीच संतुलन की जरूरत पर जोर दिया। उनका कहना था कि केवल बौद्धिक क्षमता ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाएं भी बच्चों में विकसित होनी चाहिए ताकि वे समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें।
प्रख्यात पर्यावरणविद् और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक इन दिनों भारत भ्रमण पर हैं, और इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय दी है। लद्दाख में किए गए अपने धरने का समर्थन करने वालों से मिलते हुए, वे लोगों को धन्यवाद दे रहे हैं, लेकिन उनके इस यात्रा का सबसे दिलचस्प पहलू उनके द्वारा की गई कुछ हैरान कर देने वाली टिप्पणियाँ हैं।
भारतीय रेलवे की तारीफ, लेकिन सवाल भी खड़े किए
हाल ही में कोलकाता पहुंचे सोनम वांगचुक ने भारतीय रेलवे की तारीफ करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया। उन्होंने बताया कि उनकी कई ट्रेनें कोहरे की वजह से देर से चल रही थीं, लेकिन गुजरात से मुंबई तक की ट्रेन बिल्कुल सही समय पर पहुंची। इस पर उन्होंने भारतीय रेलवे की तारीफ करते हुए कहा, "हम सभी को मिलकर इसे और बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।"
लेकिन सोनम का यह बयान केवल तारीफ तक सीमित नहीं था। उन्होंने आईआईटी और अन्य तकनीकी संस्थानों से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर गंभीर बहस करें कि कोहरे के दौरान भी ट्रेनें समय पर कैसे चल सकती हैं। उनका मानना है कि रेलगाड़ियां घंटों नहीं, बल्कि मिनटों की देरी से चलनी चाहिए।
शिक्षा व्यवस्था पर तीखा हमला: दिल और दिमाग का संगम जरूरी
सोनम वांगचुक ने महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी नई तालीम संस्थान का दौरा भी किया, जहां उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बेहद गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "हमारे शिक्षण संस्थानों में दिमाग का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन दिल के लिए जगह बेहद कम बची है। यही वजह है कि आजकल लोगों में दूसरों के प्रति दया और संवेदना का अभाव बढ़ता जा रहा है।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में दिल और दिमाग का संगम जरूरी है। उनका मानना है कि अगर बच्चों के दिल में दया और संवेदना की भावना न हो, तो उनकी बौद्धिक क्षमता भी जल्द ही भ्रष्ट हो सकती है। उन्होंने बताया कि बच्चों की ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल न होने से वे हिंसा की ओर बढ़ सकते हैं और तनाव का शिकार हो सकते हैं।
क्या सोनम वांगचुक के ये सुझाव शिक्षा और रेलवे में सुधार का रास्ता खोलेंगे?
सोनम वांगचुक का यह बयान एक गहरी सोच और सुधार की दिशा में कदम बढ़ाने की बात करता है। भारतीय रेलवे और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बात करने वाले सोनम ने अब सवाल खड़ा किया है कि क्या हम अपनी प्रणालियों को सशक्त बनाने के लिए दिल और दिमाग दोनों पर ध्यान देंगे? उनके सुझाव कितने प्रभावी होंगे, यह भविष्य ही बताएगा।
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