बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचारों के बीच एक बांग्लादेशी नागरिक ने खुलासा किया, इंदिरा गांधी द्वारा बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का निर्णय एक बड़ी गलती था।
वाराणसी: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों और अत्याचारों के बीच एक बांग्लादेशी नागरिक ने चौंकाने वाला बयान दिया है। बांग्लादेश स्थित एक शक्तिपीठ के पदाधिकारी ने अपनी पहचान छिपाते हुए कहा कि वर्तमान में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है। उनके अनुसार, यदि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं को भारत या किसी अन्य देश जाने की अनुमति देती, तो देश का हर हिंदू तत्काल भारत की ओर रुख कर लेता।
पदाधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर लगातार हमले हो रहे हैं, मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है, और मंदिरों को अपवित्र किया जा रहा है। इसके अलावा, हिंदू समुदाय को उनके घरों से बाहर किया जा रहा है, उनकी दुकानों को लूटा और जलाया जा रहा है। कट्टरपंथियों के दबाव में उन्हें सरकारी और निजी नौकरी से निकाला जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं को विदेश जाने की अनुमति नहीं दे रही है, क्योंकि ऐसा होने पर देश की अंतरराष्ट्रीय बदनामी का खतरा है। इसके परिणामस्वरूप, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का जीवन असुरक्षित हो गया है और वे लगातार भय के साए में जी रहे हैं।
कई घटनाओं को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू बहुल इलाकों में स्थिति इतनी खराब है कि वहां के हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षित जीवन जीना लगभग असंभव हो चुका है। उनके अनुसार, इमिग्रेशन पुलिस ने भारत जाने के प्रयास में उनके चार साथियों को एयरपोर्ट पर ही रोक लिया, जबकि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीजा थे।
उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश के हिंदू समुदाय को बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं की याद है, लेकिन आज वे उसी देश में कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं।
अंत में, उन्होंने यह भी जोड़ा कि 1971 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक बड़ी गलती की थी। उनका मानना है कि इंदिरा गांधी को बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के बजाय भारत में मिला लेना चाहिए था, क्योंकि उस समय परिस्थितियां भारत के पक्ष में थीं और इससे हिंदू समुदाय को बड़ा राहत मिल सकती थी।
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