कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एनआईए कोर्ट ने इस मामले में 28 आरोपियों को आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दोषी पाए गए आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा का ऐलान किया, जबकि दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। यह फैसला कासगंज में हुए दंगे के तीन साल बाद सुनाया गया।
26 जनवरी 2018, कासगंज का वह दिन जब तिरंगे का सम्मान करने निकली यात्रा ने शहर को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दिया। एक गोली, एक जीवन की बर्बादी, और एक शहर जो दंगे की लपटों में घिर गया। यह कहानी है चंदन गुप्ता की, जिनकी उस दिन एक जख्मी तिरंगे के सामने जान चली गई।
कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुए हिंसक घटनाक्रम में चंदन गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में विशेष एनआईए अदालत ने 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। यह फैसला 26 जनवरी की त्रासदी को लेकर कई महीनों की जांच के बाद आया।
कासगंज में क्या हुआ था?
कासगंज में 26 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद, एबीवीपी, और हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था। यात्रा में सवार 100 से अधिक लोग, तिरंगे के साथ मोटरसाइकिलों पर सवार होकर शहर के बड्डूनगर इलाके तक पहुंचे। यह यात्रा गणतंत्र दिवस के आयोजन के बीच में थी, और इस दौरान अचानक माहौल में तनातनी पैदा हो गई।
चंद मिनटों में ही स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। दोनों पक्षों के बीच हिंसा बढ़ी, पत्थरबाजी शुरू हो गई, और फिर वही हुआ जो किसी ने भी नहीं सोचा था। एक गोली चली और चंदन गुप्ता की जान ले ली। गोली लगते ही चंदन गिर पड़ा और उसकी मौत ने कासगंज को दंगे की आग में झोंक दिया।
फैसला: न्याय की ओर एक कदम और
अब, तीन साल बाद, एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने चंदन गुप्ता हत्याकांड के 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन आरोपियों पर विभिन्न गंभीर धाराओं के तहत सजा दी गई, जिनमें हत्या, राष्ट्रध्वज अपमान, और आयुध अधिनियम की धाराएं शामिल हैं।
एक आरोपी सलीम को विशेष रूप से दोषी ठहराया गया है, जिसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है। यह फैसले उन सभी लोगों के लिए एक कड़ा संदेश हैं, जो हिंसा और आतंक फैलाने के लिए समाज में आग लगाते हैं।
कासगंज का वह काला दिन
कासगंज की यह घटना न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति थी, बल्कि पूरे शहर के लिए एक दंश बन गई। प्रशासन को हालात को काबू में करने के लिए इंटरनेट सेवाओं तक को बंद करना पड़ा था। आज, अदालत का यह फैसला उन सभी को न्याय दिलाने की एक छोटी सी कोशिश है, जिन्होंने तिरंगे के सम्मान में अपनी जान दी थी।
चंदन गुप्ता की मौत ने यह सवाल उठाया कि जब हम देश का सम्मान करने निकलते हैं, तो क्या हम अपनी आस्थाओं और सांप्रदायिकता से ऊपर उठकर शांति और भाईचारे का प्रतीक बन सकते हैं?
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