ग्रेटर नोएडा।
औद्योगिक विकास के साथ-साथ साफ-सफाई और आधारभूत सुविधाओं को लेकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एक्शन मोड में है। इसी कड़ी में मंगलवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACE0) श्रीलक्ष्मी वीएस ने औद्योगिक सेक्टर इकोटेक-3 में स्थित ट्वॉय सिटी, हबीबपुर और डेरीन गांव के 6% आवासीय भूखंड क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों और सफाई व्यवस्था का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान भारी लापरवाही सामने आई, जिससे नाराज होकर एसीईओ ने संबंधित सफाई ठेका फर्म बिमलराज कॉन्ट्रैक्टर पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही सफाई उपनिरीक्षक और सुपरवाइजर का वेतन रोकने का भी आदेश दिया गया है।
गंदगी और अव्यवस्था देख भड़कीं एसीईओ
निरीक्षण के दौरान श्रीलक्ष्मी वीएस को क्षेत्र में कई स्थानों पर गंदगी के ढेर, कूड़ा निस्तारण में अनियमितता और नियमित सफाई न होने की शिकायतें मिलीं। सड़कों के किनारे कचरे के ढेर लगे थे और नालियों की सफाई भी अधूरी पाई गई। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कूड़ा कई दिनों तक नहीं उठाया जाता है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।
प्राधिकरण की एसीईओ ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को फटकार लगाते हुए पूछा कि जब सफाई के लिए लाखों रुपये की ठेका राशि दी जा रही है, तो फिर ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है? उन्होंने तत्काल प्रभाव से कार्य में लापरवाही बरतने वाले संबंधित सफाई उपनिरीक्षक और सुपरवाइजर का वेतन रोकने के आदेश दिए।

फर्म को अंतिम चेतावनी, नहीं सुधरे हालात तो होगी ब्लैकलिस्टिंग
एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो बिमलराज कॉन्ट्रैक्टर को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। इसके अलावा सफाई उपनिरीक्षक और सुपरवाइजर की सेवाएं भी समाप्त कर दी जाएंगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ग्रेटर नोएडा एक सुनियोजित और आधुनिक शहर है और यहां अव्यवस्था और लापरवाही की कोई जगह नहीं है।
सीईओ एनजी रवि कुमार ने दिए हैं नियमित निरीक्षण के निर्देश
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने हाल ही में सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि विकास कार्यों और जनसुविधाओं की निगरानी के लिए वे नियमित रूप से क्षेत्रों का दौरा करें। इसी के तहत एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने मंगलवार सुबह क्षेत्रीय दौरा किया। यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि ट्वॉय सिटी को विकसित औद्योगिक हब के रूप में तैयार किया जा रहा है, जहां देश-विदेश की कंपनियां निवेश कर रही हैं।
क्या है 6% भूखंड योजना?
प्राधिकरण की 6% भूखंड योजना के तहत ग्रामीणों को उनके अधिग्रहित भूमि के बदले विकासशील सेक्टरों में भूखंड दिए जाते हैं। ये क्षेत्र अब तेज़ी से शहरी स्वरूप ले रहे हैं, ऐसे में साफ-सफाई और मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी प्राधिकरण की होती है। लेकिन जब इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले भूखंड क्षेत्रों में ही बदहाली देखने को मिल रही है तो सवाल उठना लाजमी है।
6% भूखंड योजना में भी खामियां
निरीक्षण के दौरान 6 प्रतिशत भूखंड योजना के अंतर्गत आवंटित प्लॉट्स में हो रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में नजर आई। कुछ स्थानों पर निर्माण अधूरा था तो कहीं पर साफ-सफाई और नालियों की व्यवस्था भी बदहाल मिली। एसीईओ ने संबंधित इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों से मौके पर ही रिपोर्ट मांगी और कहा कि विकास कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।

स्थानीय लोग बोले – कूड़ा नहीं उठता, बीमारियों का खतरा
हबीबपुर और डेरीन गांव के स्थानीय निवासियों ने बताया कि कूड़ा-कचरा कई-कई दिनों तक नहीं उठाया जाता। जिससे मक्खी-मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने प्राधिकरण से नियमित कूड़ा उठान और सैनिटाइजेशन की मांग की है।
अधिकारियों को दिया कड़ा संदेश
निरीक्षण के अंत में श्रीलक्ष्मी वीएस ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा:
“जनता के पैसे से प्राधिकरण क्षेत्र का विकास हो रहा है। ठेकेदारों और अधिकारियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे ईमानदारी से काम करें। यदि कोई अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस का यह निरीक्षण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह स्पष्ट संदेश है कि अब किसी भी तरह की लापरवाही नहीं चलेगी। जिन क्षेत्रों को मॉडल के तौर पर विकसित किया जा रहा है, वहां यदि सफाई और व्यवस्था नहीं होगी तो निवेशकों और नागरिकों का भरोसा टूटेगा। इस कार्रवाई से जहां अधिकारियों में जवाबदेही की भावना मजबूत होगी, वहीं ठेकेदारों को भी सख्त संदेश जाएगा कि कार्य में कोई भी कोताही अब महंगी पड़ेगी।
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