गया/बिहार – राज्य में कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। गया जिले से एक बेहद शर्मनाक और मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक डॉक्टर को महज इसलिए दरिंदों की क्रूरता का शिकार बनना पड़ा क्योंकि वह एक बलात्कार पीड़िता का इलाज करने गया था। यह घटना गया जिले के एक ग्रामीण इलाके की है, जहां एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद जब डॉक्टर जितेंद्र यादव पीड़िता का इलाज करने पहुंचे, तो उन्हें आरोपी और उनके साथियों ने पहले बंधक बनाया और फिर एक पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा। इस अमानवीय कृत्य के बाद इलाके में दहशत और आक्रोश दोनों का माहौल है।
घटना का पूरा विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़िता एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है और उसके साथ गांव के ही कुछ दबंग युवकों ने सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। घटना के तुरंत बाद परिजनों ने स्थानीय स्तर पर मदद मांगते हुए डॉक्टर जितेंद्र यादव को बुलाया, जो कि समाजसेवा से जुड़े एक जागरूक डॉक्टर हैं और अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं।
डॉक्टर यादव जब पीड़िता के घर पहुंचे और उसका प्राथमिक उपचार शुरू किया, तभी अचानक कुछ लोग वहां पहुंचे और उन पर आरोप लगाने लगे कि वह बिना अनुमति के इलाज कर रहे हैं। कुछ ही मिनटों में यह आरोप एक हिंसक हमले में तब्दील हो गया। डॉक्टर को घर से बाहर घसीटते हुए पास के पेड़ से बांध दिया गया और फिर डंडों और लाठियों से पीटा गया।
रेप आरोपी और उसके साथी थे हमलावर
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर पर हमला करने वाले वही लोग थे जो पीड़िता के बलात्कार में शामिल थे। उन्होंने सबूतों को मिटाने और मामले को दबाने के लिए डॉक्टर को सबक सिखाने की योजना बनाई थी। यह पूरी घटना गांव के कुछ लोगों ने मोबाइल पर रिकॉर्ड भी की, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि डॉक्टर जितेंद्र यादव को पेड़ से बांधा गया है और उन्हें लात-घूंसों से मारा जा रहा है, जबकि वह बार-बार अपनी निर्दोषता की दुहाई दे रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया है कि घटना की जानकारी देने के बावजूद पुलिस ने समय पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि डॉक्टर पर हुए हमले के बाद भी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचने में देरी की।
इलाके के सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने भी इस मामले में प्रशासन की निष्क्रियता की आलोचना की है। कई संगठनों ने इसे “प्रशासनिक संवेदनहीनता का चरम” बताया है।
डॉक्टर का बयान – ‘मुझे इंसाफ चाहिए’
डॉक्टर जितेंद्र यादव इस समय गया के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया,
“मैं सिर्फ अपना फर्ज निभा रहा था। एक बच्ची जिसकी इज्जत लूटी गई थी, उसकी जान बचाने के लिए मैं गया था। लेकिन जिन दरिंदों ने उसके साथ वह घिनौना अपराध किया, उन्होंने मुझ पर जानलेवा हमला कर दिया। मुझे इंसाफ चाहिए। ये मामला सिर्फ मेरे ऊपर हमले का नहीं, बल्कि पूरे समाज की सोच पर हमला है।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस अमानवीय घटना पर सियासत भी गर्म हो गई है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेरते हुए इसे जंगलराज की वापसी बताया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा,
“बिहार में अब डॉक्टर तक सुरक्षित नहीं हैं। बलात्कारी खुलेआम घूम रहे हैं और इंसानियत की सेवा करने वालों पर हमला कर रहे हैं। यह जंगलराज नहीं तो क्या है?”
वहीं, सत्ताधारी जेडीयू और भाजपा नेताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से भी एक बयान जारी कर कहा गया है कि पुलिस को मामले में तेजी से जांच कर दोषियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुलिस की कार्रवाई – एफआईआर दर्ज, एक गिरफ्तारी
गया पुलिस ने डॉक्टर की तहरीर पर मामला दर्ज कर लिया है और एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया है। एसएसपी ने मीडिया को जानकारी दी कि अन्य आरोपियों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें भी हिरासत में ले लिया जाएगा।
पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ एक आपराधिक हमला नहीं, बल्कि सबूतों को नष्ट करने की साजिश का हिस्सा है। इस कारण पुलिस आईपीसी की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चुकी है, जिसमें बलात्कार, जानलेवा हमला, और आपराधिक साजिश शामिल है।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ितों को न्याय दिलाना कितना कठिन होता जा रहा है। जब एक डॉक्टर जैसे पेशेवर और संवेदनशील व्यक्ति पर ही हमला हो सकता है, तो पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा पर क्या भरोसा किया जा सकता है?
मानवाधिकार संगठन और महिला सुरक्षा से जुड़े एक्टिविस्ट्स इस घटना को ‘सोचने वाली स्थिति’ बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह न सिर्फ अपराध की गंभीरता दिखाता है, बल्कि हमारे समाज में पीड़ितों की मदद करने वालों के लिए भी खतरे की घंटी है।
इस घटना ने न केवल बिहार को, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जब डॉक्टर जितेंद्र यादव जैसे लोग समाज सेवा के लिए आगे आते हैं और उन्हें ही निशाना बनाया जाता है, तो यह हमारे न्याय और सामाजिक संरचना की बड़ी विफलता को उजागर करता है।
आवश्यक है कि इस मामले में त्वरित न्याय हो, ताकि अपराधियों को सजा मिल सके और समाज में यह संदेश जाए कि पीड़ितों की मदद करने वालों पर हमला किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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