अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद राहत एवं बचाव कार्य के दौरान फ्लाइट का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है। यह ब्लैक बॉक्स विमान के तकनीकी डेटा और पायलटों की बातचीत को रिकॉर्ड करता है, जो जांच में बेहद अहम भूमिका निभाता है। हालांकि इसे डिकोड करने के लिए विशेष तकनीक और विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। देश की निगाहें अब इस ब्लैक बॉक्स से निकलने वाली जानकारी पर टिकी हैं, जिससे हादसे के कारणों का खुलासा हो सकता है।
अहमदाबाद में हुए भीषण एयर इंडिया विमान हादसे के बाद अब जांच की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। हादसे के स्थल से फ्लाइट का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है, जो किसी भी विमान दुर्घटना की जांच में सबसे अहम कड़ी माना जाता है। हालांकि, यह सवाल अब प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या इस ब्लैक बॉक्स से हादसे की सच्चाई सामने आ पाएगी?
ब्लैक बॉक्स कोई साधारण उपकरण नहीं होता। इसे पढ़ने और समझने के लिए विशेष प्रकार के उन्नत रीडर्स की आवश्यकता होती है, जो सामान्य डिवाइस से बिल्कुल अलग होते हैं। इसके साथ ही, प्रशिक्षित विशेषज्ञों की मदद भी जरूरी होती है, जो डेटा को सही तरीके से डिकोड कर सकें। भारत में ब्लैक बॉक्स विश्लेषण के लिए सीमित संख्या में ही अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं, इसलिए संभव है कि जांच के लिए ब्लैक बॉक्स को विदेश भेजा जाए या अंतरराष्ट्रीय सहयोग लिया जाए।
ब्लैक बॉक्स में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) शामिल होते हैं, जो विमान के उड़ान भरने से लेकर क्रैश तक की हर तकनीकी जानकारी और पायलटों की बातचीत को रिकॉर्ड करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह डाटा सुरक्षित और पढ़ने योग्य स्थिति में है, तो हादसे के कारणों पर से पर्दा उठ सकता है।
देशभर की निगाहें अब जांच एजेंसियों और इस ब्लैक बॉक्स पर टिकी हैं। यह देखना अहम होगा कि क्या यह तकनीकी उपकरण अहम सुराग देकर मृतकों के परिजनों और देश को हादसे की पूरी सच्चाई बता पाएगा या नहीं।
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