कर्नाटक में तंबाकू और हुक्का संस्कृति पर सख्त प्रहार करते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य में तंबाकू खरीदने की न्यूनतम उम्र 21 साल कर दी गई है, जबकि सार्वजनिक स्थलों पर इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। नए कानून के तहत हुक्का बार खोलना या संचालित करना भी पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। नियम तोड़ने पर एक साल से तीन साल तक की जेल और ₹1 लाख तक का जुर्माना तय किया गया है। यह कदम युवाओं को तंबाकू की लत से दूर रखने और जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
30 मई 2024 की शाम.. कर्नाटक में एक अधिसूचना जारी हुई जिसने तंबाकू व्यापार की नींव हिला दी। यह महज एक प्रशासनिक आदेश नहीं था, बल्कि सरकार की ओर से तंबाकू और उससे जुड़े खतरों के खिलाफ युद्ध की घोषणा थी। अब राज्य में 18 नहीं, 21 साल से कम उम्र के युवक-युवतियों के लिए तंबाकू खरीदना या बेचना पूरी तरह से अवैध हो गया है।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती..
🚭 सार्वजनिक जगहों पर तंबाकू का 'पूर्ण बहिष्कार'
अब अगर कोई व्यक्ति खुले में बीड़ी-सिगरेट पीते हुए पकड़ा गया, तो उसे हल्के-फुल्के ₹200 के जुर्माने से नहीं, सीधे ₹1,000 तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है। गार्डन, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या ऑफिस कॉम्प्लेक्स—अब कहीं भी स्मोकिंग नहीं!
हालांकि कुछ बड़े होटल और रेस्टोरेंट, जहां 30 से अधिक कमरे या बैठने की व्यवस्था हो, वहां विशेष स्मोकिंग ज़ोन की अनुमति दी गई है। लेकिन यह ज़ोन भी सख्त नियमों के अधीन होंगे।
🔥 हुक्का बार: अब इतिहास की बात!
सरकार ने हुक्का बार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का साहसी निर्णय लिया है। चाहे वह पब हो, कैफे हो, रेस्टोरेंट या 'लाउंज'—अगर उसमें हुक्का पेश किया गया, तो समझिए अपराध हुआ।
कानूनी सजा?
📚 स्कूल-कॉलेज के पास ‘नो सिगरेट जोन’
अब किसी भी शैक्षणिक संस्थान से 100 मीटर के दायरे में सिगरेट या किसी भी तंबाकू उत्पाद की बिक्री प्रतिबंधित होगी। और हां, अब खुले में ‘एक-एक सिगरेट’ बेचना भी कानून के खिलाफ है।
👦🏻 21 से कम उम्र? तंबाकू से दूर रहो!
नया कानून साफ कहता है:
ना तुम तंबाकू खरीद सकते हो, ना बेच सकते हो, अगर तुम 21 साल के नहीं हुए हो!
यह कदम ना केवल युवाओं को तंबाकू की गिरफ्त से बचाने का है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को तंदुरुस्त और जागरूक बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
🔴 यह सिर्फ कानून नहीं, चेतावनी है!
अब हर दुकानदार, होटल मालिक और आम नागरिक को समझना होगा कि तंबाकू से खेलना अब ‘सस्ता’ नहीं, कानूनी और सामाजिक अपराध है।
कर्नाटक का यह मॉडल अब देशभर में मिसाल बनने की राह पर है। क्या बाकी राज्य भी उठाएंगे ऐसा कदम?
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