एक ऐतिहासिक पल आने वाला है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जनवरी को श्रीनगर से कन्याकुमारी तक चलने वाली ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखा सकते हैं। यह सेवा सिर्फ एक रेलवे परियोजना का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत के आधिकारिक और भौगोलिक रूप से एकजुट होने का प्रतीक बन चुकी है। जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत के कन्याकुमारी तक ट्रेन संचालन की मंजूरी मिल चुकी है, जिससे देशभर के लोग अब एक नई यात्रा पर निकल सकेंगे।
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) दिनेश चंद देशवाल द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनगर से कन्याकुमारी तक जाने वाली यह नवनिर्मित ब्रॉड गेज रेलवे लाइन अब यात्री रेलगाड़ियों के संचालन के लिए पूरी तरह से तैयार है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना को भी सीआरएस द्वारा मंजूरी मिल चुकी है, जिससे कश्मीर और अन्य क्षेत्रों के बीच सफर करना अब और भी सुविधाजनक हो जाएगा।
यह मंजूरी मिलने के बाद से भारतीय रेलवे का इतिहास एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है। सात और आठ जनवरी को सीआरएस द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद, रेलवे अधिकारियों को मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों को चलाने की अनुमति दी गई है। अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर केवल सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है। इस सुविधा से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि भारतीय रेल नेटवर्क की विस्तार योजना को भी नया बल मिलेगा।
यूपी, उत्तराखंड, और अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर के लिए इस परियोजना ने रेलवे के कार्यक्षेत्र को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। कटरा से बनिहाल तक की कठिन भौगोलिक स्थिति और 180 डिग्री की चढ़ाई पर 110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेन, भारतीय रेलवे के लिए एक नया इतिहास रचने जैसा है।
रेलवे मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा कश्मीर और कन्याकुमारी को जोड़ने वाली देश की पहली रेल सेवा होगी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी हो रही है। 26 जनवरी को श्रीनगर से कटरा के लिए वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम भी तय किया गया है।
यह योजना न सिर्फ उत्तर और दक्षिण भारत के बीच की दूरी को कम करेगी, बल्कि यह भारत के समृद्ध रेल नेटवर्क और सुरक्षित यात्रा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगी।