महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विपक्ष द्वारा लाड़की बहिन योजना को लेकर उठाए गए गंभीर आरोपों का जमकर जवाब दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस योजना के लाभार्थियों की सूची में कटौती करेगी और इसके बाद अपात्रों से वितरित धनराशि की वसूली की जाएगी, साथ ही योजना को बंद भी कर दिया जाएगा। हालांकि, अजित पवार ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए और पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "लाड़की बहिन योजना के तहत जो धनराशि वितरित की गई है, उसकी कोई वसूली नहीं की जाएगी। इस योजना को लेकर जो भी भ्रम पैदा किया जा रहा है, वह गलत है।"
पवार ने पुणे में वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने आगे कहा कि पिछली बार योजना के लाभार्थियों के दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया में सीमित समय के कारण हम लाभार्थियों के आधार कार्ड को योजना से जोड़ने में असमर्थ रहे थे, लेकिन इस बार हम इसे पूरी तरह से लिंक करेंगे, ताकि किसी भी लाभार्थी का नाम योजना से बाहर न हो, और सभी पात्र महिलाओं को इसका लाभ मिल सके। हालांकि, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस प्रक्रिया के बावजूद किसी से भी वितरित धन की वसूली नहीं की जाएगी।
पवार का यह बयान उस वक्त आया है जब विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रहा था कि वह इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या घटाकर इसे बंद करने की योजना बना रही है। पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की योजना नहीं बदली है और लाड़की बहिन योजना पूरी तरह से जारी रहेगी।
इस दौरान अजित पवार ने शरद पवार के साथ मंच साझा किया और राज्य के कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य में कृषि, सहकारिता और चीनी उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की गई। विशेष रूप से, उन्होंने राज्य के कृषि विभाग के कामकाज की समीक्षा की और सरकारी योजनाओं के संभावित दुरुपयोग की ओर इशारा किया। पवार ने कहा, "कभी-कभी कुछ बेईमान तत्व सरकार की योजनाओं का गलत फायदा उठाते हैं, जैसा कि 1 रुपये की फसल बीमा योजना में देखा गया। इसमें कुछ लोगों ने कृषि भूमि के रूप में पूजा स्थलों तक को दिखा दिया था, जिससे योजना का दुरुपयोग हुआ।"
इसके अलावा, पवार ने यह भी बताया कि जिले के प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपने का विशेषाधिकार है, और इस पर अंतिम निर्णय वे दावोस से लौटने के बाद लेंगे।
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई लाड़की बहिन योजना 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी। यह योजना पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता प्रदान करती है। अब योजना में मासिक राशि बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया गया है। इसके तहत अब तक महाराष्ट्र में 2.43 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को लाभ मिला है, जिससे राज्य के खजाने पर हर महीने लगभग 3,700 करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है।
राजनीतिक हलकों में यह योजना महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुकी है, खासकर पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों के बाद, जब महायुति की जीत का श्रेय इस योजना को दिया गया था। पवार का यह बयान विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करने वाली राज्य सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि सरकार की नीयत पूरी तरह से योजना को मजबूत करने की है, न कि इसे खत्म करने की।
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