ग्रेटर नोएडा। महिलाओं को
अपने अधिकारों के लिए खुद ही लड़ना होगा। महिलाओं को खुद से जुड़े निर्णय करने का
अधिकार किसी और को नहीं देना चाहिए। यह बात ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ मेधा
रूपम ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के प्रति अधिकारियों व कर्मचारियों
को जागरूक करने और संवेदनशील बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आयोजित
कार्यशाला में कही।
दरअसल, कार्यस्थलों पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न
(निवारण , प्रतिशेध एवं प्रतिरोध)
अधिनियम के अंतर्गत अधिकारियों व कर्मचारियों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के लिए
गठित समिति की तरफ से कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार 19 जनवरी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में दोपहर 3.30 बजे भूतल स्थित सभागार में किया गया, जिसमें हृयूमन टच फाउंडेशन की प्रतिनिधि डॉ
उपासना सिंह ने अधिकारियों-कर्मचारियों को कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति
संवेदनशील और जागरूक बनाने के लिए जानकारी दी गई। इसी कार्यषाला में शामिल एसीईओ
मेधा रूपम ने लड़का-लड़की में हो रहे भेदभाव पर बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने
कहा कि षादी का मतलब लड़कियों का अपने घर से दूसरों के घर जाना नहीं है, बल्कि ये दो परिवारों का मिलन होता है। इसलिए
शादी के बाद भी एक लड़की अपने माता-पिता का ख्याल रख सकती है। इसके लिए बेटा होना
ही जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि बहू और बेटी में फर्क को भी खत्म करना होगा।
लड़का-लड़की में भेदभाव को खत्म करने की शुरुआत घर से करनी होगी। एक लड़की को भी सभी
तरह के गेम में हिस्सा लेने की छूट होनी चाहिए। एसीईओ श्रीलक्ष्मी वी.एस. ने कहा
कि लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए कोई सीमा
तय नहीं की जानी चाहिए। उन्हे भी पूरा अवसर मिलना चाहिए। इस कार्यशाला में प्राधिकरण
की आंतरिक परिवाद समिति की अध्यक्षा अर्चना द्विवेदी, सदस्या रश्मि सिंह, ओएसडी सतीश कुशवाहा, ओएसडी जितेन्द्र
गौतम, वरिष्ठ प्रबंधक राजेष
कुमार व चेतराम सिंह, प्रबंधक केएम
चौधरी व नरोत्तम चौधरी प्राधिकरण के तमाम अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए।