दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने न केवल चुनाव की प्रक्रिया, बल्कि इसके आसपास उठ रहे विवादों पर भी करारा जवाब दिया। मंगलवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। पांच फरवरी को होने वाला मतदान और आठ फरवरी को घोषित होने वाले परिणामों से पहले, चुनाव आयुक्त ने मतदाताओं से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में मतदान करें।
राजीव कुमार ने जोर देकर कहा कि भारतीय मतदाता अब बेहद जागरूक हो चुके हैं। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की दिशा में आयोग का दृढ़ संकल्प और विश्वास दिखाई दिया, जब उन्होंने उन आरोपों का जवाब दिया जिनमें कहा जा रहा था कि मतदाता सूची में नामों को गलत तरीके से जोड़ा या हटाया गया है।
"हम जल्द ही 100 करोड़ मतदाताओं का आंकड़ा पार करने वाले हैं।" यह बात उन्होंने गर्व से कही, जब उन्होंने बताया कि देश में मतदाताओं की संख्या अब 99 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। लेकिन, विरोधी दलों के आरोपों को झुठलाते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदाता सूचियों में किसी भी प्रकार की हेराफेरी संभव नहीं है। सभी प्रक्रियाएं पूरी पारदर्शिता से होती हैं, और हर पार्टी को सूची की जानकारी दी जाती है।
ईवीएम को लेकर भी कई सवाल उठाए गए थे, जिनका चुनाव आयुक्त ने ठोस और स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा, "ईवीएम को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम और शंका का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे एक फुलप्रूफ डिवाइस माना है, जिसे हैक करना असंभव है।"
राजीव कुमार ने ईवीएम की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बताया, जिसमें पोलिंग एजेंटों के सामने सीलिंग की जाती है और चुनाव के बाद भी पूरी देखरेख की जाती है। "हमारा मुख्य उद्देश्य चुनावों में पारदर्शिता बनाए रखना है। कोई भी अवैध वोटिंग का सवाल ही नहीं उठता।"
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयुक्त ने ये साफ कर दिया कि कोई भी आरोप हो, वे सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना होगा कि दिल्ली के चुनाव में इस चुनावी तंत्र की विश्वसनीयता और पारदर्शिता का क्या असर होता है।