दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने युवाओं को रिझाने के लिए एक बड़ा एलान किया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाती है, तो अगले पांच वर्षों में युवाओं के लिए रोजगार और नौकरी के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। केजरीवाल ने यह बात स्पष्ट की कि उनकी सरकार ने पहले भी कई बड़े कदम उठाए हैं और आने वाले समय में भी यही प्राथमिकता होगी। उनका कहना था कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़कों और मेट्रो के विकास के साथ-साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना उनकी सरकार की मुख्य जिम्मेदारी होगी।
केजरीवाल ने कहा, "जब कोरोना महामारी के दौरान पूरा देश मुश्किलों से जूझ रहा था और उद्योग, बाजार, दुकानें सब बंद हो गई थीं, तब बेरोजगारी का स्तर काफी बढ़ गया था। उस समय दिल्ली सरकार ने बड़े प्रयासों से 12 लाख बच्चों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किए थे। हम फिर से ऐसा करेंगे, ताकि युवाओं को उनके अधिकार मिल सकें और वे आत्मनिर्भर बन सकें।" उनके अनुसार, दिल्ली सरकार के पास एक अच्छी टीम है, जो पढ़े-लिखे युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है।
इसके बावजूद विपक्ष ने केजरीवाल के इस एलान पर सवाल उठाए हैं। दक्षिण दिल्ली से भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल के पांच साल में रोजगार खत्म करने के वादे को पूरी तरह से फर्जी करार दिया। उनका कहना था कि आम आदमी पार्टी ने 2022 में रोजगार बजट का एलान करते हुए 20 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन अब तक इस वादे का कोई ठोस परिणाम नहीं आया। बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि सरकार ने गेस्ट टीचर्स और कांट्रेक्ट कर्मचारियों को पक्का करने के वादे किए थे, लेकिन उसे पूरा नहीं किया। इसके अलावा, सिविल डिफेंस के वालंटियरों की नौकरी भी खत्म कर दी गई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के झूठे वादों का घड़ा अब भर चुका है और दिल्ली की जनता इसे पहचान चुकी है।
केजरीवाल ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने वहां 48,000 सरकारी नौकरियां दी हैं और 3 लाख से अधिक युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिया है। हालांकि, भाजपा ने इसे भी झूठा करार दिया और दावा किया कि दिल्ली में सरकार बनने के बाद केजरीवाल ने बेरोजगारी की समस्या को ठीक से नहीं संभाला।
दिल्ली में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, और युवा वर्ग इसकी सबसे बड़ी शिकार है। केजरीवाल ने खुद स्वीकार किया कि यह समस्या गंभीर है और अगर इस पर ध्यान न दिया गया तो युवा गलत रास्ते पर जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के कारण कई युवा अपराध की ओर बढ़ते हैं, जो समाज के लिए बेहद चिंताजनक है।
अब देखना यह होगा कि दिल्ली के आगामी चुनावों में इस वादे का क्या असर होता है। क्या केजरीवाल अपने रोजगार के वादे को पूरा कर पाते हैं, या फिर विपक्ष के आरोप सही साबित होते हैं। यह चुनावी मुद्दा अब एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है और इस पर जनता का फैसला ही अहम होगा।
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