महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से पुलिस और आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) के अधिकारियों के बीच हलचल बढ़ी हुई थी। राज्य के विभिन्न जिलों में रहस्यमयी तरीके से बसे विदेशी नागरिकों के बारे में लगातार खुफिया सूचनाएं आ रही थीं। यह सामान्य अभियान नहीं था—यह एक बड़ा ऑपरेशन था, जिसे सफलतापूर्वक अंजाम देना जरूरी था।
चार दिनों के अंदर ही ATS और स्थानीय पुलिस ने अपनी रणनीति के तहत मुंबई, नासिक, नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर में बड़े पैमाने पर छापेमारी की। इन छापों के दौरान अधिकारियों ने नौ बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा, जिनमें से आठ पुरुष और एक महिला शामिल थी। ये नागरिक फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर आधार कार्ड बनवाने में कामयाब हो गए थे, जिससे उनकी पहचान छिपी हुई थी। हर कदम पर सावधानी और चौकसी बरतते हुए ATS ने इन जाली दस्तावेजों को जब्त किया और एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया।
लेकिन यह केवल शुरुआत थी। ठाणे जिले के मनकोली इलाके में, एक गुप्त सूचना पर पुलिस ने प्रेरणा कॉम्प्लेक्स के एक गोदाम पर छापा मारा। वहां पुलिस ने सात और बांग्लादेशी नागरिकों को काम करते हुए रंगे हाथों पकड़ा। इन सभी की उम्र 26 से 54 वर्ष के बीच थी, लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि ये सभी बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत में रह रहे थे। पुलिस ने उनके पास से 35,000 रुपये मूल्य के मोबाइल फोन और अन्य सामग्री जब्त की।
इन घटनाओं के बाद पुलिस ने विदेशी अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। यह छापेमारी तब और महत्वपूर्ण हो गई जब पता चला कि पिछले महीने इसी अभियान के तहत ATS ने 43 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था, जो इसी तरह के जालसाजी में लिप्त थे।
महाराष्ट्र पुलिस का यह अभियान न सिर्फ कानून की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि जाली दस्तावेजों से कानून को धोखा नहीं दिया जा सकता।