महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव परिणामों से पहले विपक्षी दलों में सियासी हलचल बढ़ी, कांग्रेस ने पर्यवेक्षक नियुक्त किए। महाविकास आघाड़ी ने मुंबई में विधायकों को एकजुट रखने की योजना बनाई, जबकि भाजपा के 'खेल' से बचने की तैयारी की जा रही है।
महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आने वाले हैं, और इससे पहले विपक्षी दलों के बीच सियासी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने दोनों राज्यों में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है, ताकि किसी भी तरह के 'खेल' से बचा जा सके। ये कदम इसलिए उठाए गए हैं क्योंकि चुनाव परिणाम के बाद विपक्ष को डर है कि कहीं सत्ता में हस्तक्षेप या राष्ट्रपति शासन न लागू कर दिया जाए।
मुंबई में जुटेंगे सभी विधायक
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने हाल ही में मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव परिणामों के बाद, महाविकास आघाड़ी (मविअ) के सभी विधायकों को मुंबई में एक जगह पर लाकर रखा जाएगा। उनका कहना था, "हम पूरी तरह से अलर्ट हैं। अगर बहुमत मिलने के बावजूद भाजपा अपनी चालें चली तो हम तैयार हैं।"
संजय राउत के मुताबिक, मविअ के नेताओं ने हाल ही में एक अहम बैठक की, जिसमें उन्होंने सीटों का आकलन किया। बैठक में राउत के साथ उनके सहयोगी अनिल देसाई, राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, कांग्रेस के सतेज पाटिल और बालासाहेब थोराट भी मौजूद थे। राउत ने विश्वास जताया कि मविअ 160 सीटें जीतने की ओर बढ़ रही है, और इस जीत के बाद महाराष्ट्र में अगली सरकार बनाने का फैसला वहीं लिया जाएगा।
कांग्रेस ने किया अलर्ट
कांग्रेस ने भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए इस बार अपने पर्यवेक्षकों की टीम को तैनात किया है। अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और डॉ. जी. परमेश्वर को महाराष्ट्र में जबकि तारिक अनवर, मल्लू भट्टी विक्रमार्क और कृष्णा अल्लावुरु को झारखंड के पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इन नेताओं का काम यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनाव परिणामों के बाद किसी भी तरह की सियासी चालों को रोकने के लिए विपक्षी दल एकजुट रहें।
कांग्रेस और महाविकास आघाड़ी का डर
हालांकि एग्जिट पोल्स में महायुति के पक्ष में बढ़त का अनुमान जताया गया है, महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने इसपर अविश्वास जताया है और खुद को सरकार बनाने का दावा किया है। राउत ने यह भी कहा कि अगर 25 नवंबर तक नई सरकार का गठन नहीं होता है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने का खतरा हो सकता है।
उनके मुताबिक, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर किसी भी तरह की कोई एकतरफा घोषणा नहीं होगी। सारे विधायक मिलकर इस फैसले पर सहमति बनाएंगे। इस बीच, निर्दलीय विधायकों ने भी मविअ के पक्ष में समर्थन जताया है, जिससे गठबंधन का हौसला और बढ़ा है।
अब सभी की नजरें चुनाव नतीजों पर हैं, जहां हर दल अपने क़दम उठाने को तैयार है, लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड की राजनीति में इस बार कुछ भी हो सकता है।