वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को पहला मेडल दिलाने वाली अंजू बॉबी जार्ज ने बताया कि उन्हें उस मेडल इवेंट से पहले डोप टेस्ट देने के लिए रातभर लैब के सामने बैठना पड़ा था। अंजू ने 2003 में पेरिस में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की छलांग लगाते हुए भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। अंजू ने आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की छलांग लगाई
मेडल-इवेंट से पहले डोप देने रातभर बैठना पड़ा:अंजू बॉबी जॉर्ज ने बताया वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के पहले पदक का संघर्ष
वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को पहला मेडल दिलाने वाली अंजू बॉबी जार्ज ने बताया कि उन्हें उस मेडल इवेंट से पहले डोप टेस्ट देने के लिए रातभर लैब के सामने बैठना पड़ा था। अंजू ने 2003 में पेरिस में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की छलांग लगाते हुए भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था।
अंजू ने आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की छलांग लगाई
46 साल की अंजू उस मेडल पर बात करते हुए कहती हैं- 'मैंने जिस समय वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, तब उतना सपोर्ट नहीं था। इवेंट से पहले मुझे डोप टेस्ट देने के रातभर लैब के बाहर बैठना पड़ा था। अगले दिन मेरी हालत ऐसी नहीं रह गई थी कि मैं कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले पाती। मैं मुश्किल से खेल खेल पाई। उस समय स्पोर्ट्स पावर में हम नहीं थे। सिस्टम में हमें सपोर्ट करने वाला कोई नहीं था।'एथलेटिक्स काफी टफ है। हमारे कई इवेंट्स में मेडल के दावेदार हैं, जिनसे मेडल की उम्मीद की जा सकती है। जेवलिन की बात करें तो, नीरज सहित चार थ्रोअर मेडल के दावेदार हैं लॉन्ग जंप में दो एथलीट है, जो मेडल की कतार में खड़े हैं।
अंजू ने कहा मेडल-इवेंट से पहले डोप देने रातभर बैठना पड़ा
रीले रेस और हाई जंप में भी मेडल की उम्मीद की जा सकती है। रीले टीम वर्ल्ड लेवल पर बेहतर प्रदर्शन कर रही है। एथलेटिक्स के अलावा शूटिंग, बॉक्सिंग, रेसलिंग और बैडमिंटन में ओलिंपिक में मेडल की उम्मीद की जा सकती है।हां कुछ कोच शामिल होते हैं। वे अपने नाम के लिए एथलीट को डोपिंग के दलदल में फंसा देते हैं। अब हमने जूनियर लेवल से ही डोपिंग के बारे में जागरूकता प्रोग्राम चलाया है। गुजरात में ही हुए इंटर डिस्ट्रिक्ट जूनियर एथलीट मीट में ही डोपिंग को लेकर सेमिनार किया गया है। कैंप में भी एथलीट को इस बारे में बताया जाता है।
एथलेटिक्स डोपिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है। ऐसे कोचों की पहचान की जा रही है, जो एथलीट को डोपिंग के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें एथलटिक्स फेडरेशन बैन कर रही है। कोचों में जागरूकता लाने के लिए भी प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।अभी खेलों के डेवलपमेंट को लेकर सरकार, विभिन्न खेल एसोसिएशन और ओलिंपिक संघ मिलकर काम कर रहे हैं। न केवल एथलेटिक्स में बल्कि अन्य खेलों में भी काम हो रहा है और बदलाव भी आ रहे हैं। हम 2036-ओलिंपिक का टारगेट लेकर चल रहे हैं। उस समय हम खेलों में एक महाशक्ति के रूप में सामने आएंगे।हां मेरे समय में इस तरह की सुविधा नहीं थी। मैं ही अकेली थी, जो वर्ल्ड लेवल पर अपना बेस्ट दे रही थी। उस समय हमारे साथ कोच नहीं होते थे, कॉम्पिटिशन में अकेले जाना पड़ता था। उस समय कॉम्पिटिशन के दौरान कोई हमें किसी तरह का सपोर्ट देने वाला नहीं होता था।