जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुए भीषण एलपीजी टैंकर ब्लास्ट में 14 लोगों की मौत और 30 से अधिक लोग घायल हुए। हादसे के पीछे NHAI की लापरवाही और पुलिस की अवैध वसूली पर सवाल उठ रहे हैं। जानें हादसे की पूरी कहानी और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम।
जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर शुक्रवार की सुबह जो हुआ, उसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। भांकरोटा में एक एलपीजी गैस टैंकर का भीषण विस्फोट, जिसकी आवाज 10 किलोमीटर तक सुनाई दी, अब तक 14 लोगों की जान ले चुका है, और 30 से अधिक लोग बुरी तरह झुलस गए हैं। सवाल उठता है: क्या यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना थी, या इसके पीछे छिपे हैं गहरे राज?
यहाँ दो प्रमुख कारणों पर चर्चा हो रही है। एक ओर, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के धीमे काम की बात सामने आ रही है, जिसने जयपुर-अजमेर मार्ग को पूरी तरह से तैयार किए बिना खोल दिया। दूसरी ओर, स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि हादसे के पीछे पुलिस की अवैध वसूली भी एक बड़ा कारण है।
क्या कहती है NHAI की रिपोर्ट?
NHAI के परियोजना निदेशक अजय आर्य का कहना है कि जिस यू-टर्न पर हादसा हुआ, उसे सिर्फ भारी वाहनों को रिंग रोड पर डायवर्ट करने के लिए खोला गया था। हालांकि, यह निर्णय राजमार्ग के निर्माण कार्य के बीच में लिया गया, जिससे स्थानीय यातायात में जाम की स्थिति पैदा हो गई। हालात और खराब तब हो गए जब ज्वलनशील पदार्थों से भरे वाहनों के लिए सुरक्षा उपाय नहीं किए गए।
NHAI की प्रारंभिक रिपोर्ट में सुझाव दिए गए हैं कि इस तरह के वाहनों के लिए "स्कॉर्ट सिस्टम" शुरू किया जाए और उस खतरनाक यू-टर्न पर 24 घंटे ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएं।
वसूली का खेल या सुरक्षा की कमी?
जहां एक ओर NHAI अपनी तकनीकी खामियों को सुधारने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों का आरोप है कि यू-टर्न पर पुलिसकर्मी वाहनों से अवैध वसूली कर रहे थे। यह स्थान जाम का शिकार रहता है और वाहनों की धीमी गति का फायदा उठाकर पुलिसकर्मी पैसे वसूलते हैं। आरोप यह भी है कि वसूली के चलते ड्राइवर जल्दबाजी में गलत कदम उठाते हैं, जिससे हादसे की संभावना और बढ़ जाती है।
आखिरकार तबाही की जड़ क्या है?
घटना के बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ब्लैक स्पॉट्स सुधारने के लिए विशेष अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है: क्या यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना था, या फिर इसके पीछे सरकारी विभागों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की काली परतें छिपी हुई हैं?