साल 2024 के आखिरी दिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर एक सख्त बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि ताइवान का चीन में एकीकरण अब रुकने वाला नहीं है। उन्होंने इसे चीन की आंतरिक नीति बताया और कहा कि ताइवान को चीन से अलग करने का कोई प्रयास सफल नहीं होगा। उनका यह बयान वैश्विक तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर अमेरिका और ताइवान के बीच रिश्तों को लेकर।
साल 2024 का आखिरी दिन था, जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर दुनिया को एक कड़ा संदेश दिया। चीन और ताइवान के बीच बढ़ती तनातनी के बीच शी जिनपिंग ने दावा किया कि ताइवान का चीन में एकीकरण अब कोई नहीं रोक सकता। बीजिंग ने लंबे समय से ताइवान को अपना हिस्सा मानते हुए, इस पर कड़ा नियंत्रण स्थापित करने की योजना बनाई है।
"हम चीनी एक ही परिवार के हैं, और इस रिश्ते को कोई भी तोड़ नहीं सकता," शी ने नए साल की पूर्व संध्या पर अपने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा। उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि चीन के लिए ताइवान को अपनी सीमा में समाहित करना एक अडिग लक्ष्य है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संबोधन का मकसद चीनी जनता को यह विश्वास दिलाना था कि चीन की अर्थव्यवस्था अब सुधार के रास्ते पर है। कोविड-19 के बाद, देश की अर्थव्यवस्था में आई मंदी और रियल एस्टेट क्षेत्र में आई गिरावट को लेकर चिंता जताई जा रही थी। हालांकि, शी ने आश्वासन दिया कि 2024 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद 130 ट्रिलियन युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक होने की संभावना है।
लेकिन ताइवान विवाद केवल एक आर्थिक सवाल नहीं है। अमेरिका और ताइवान के बीच रणनीतिक साझेदारी और हथियार आपूर्ति चीन के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। ताइवान जलडमरूमध्य, जो दोनों देशों को अलग करता है, अब एक वैश्विक युद्ध का शंखनाद कर सकता है। क्या यह तनाव भविष्य में एक नए युद्ध की ओर बढ़ेगा? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।