क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में गरीबों की संख्या कितनी कम हो सकती है? आज से कुछ साल पहले तक, देश की गरीबी एक गंभीर समस्या मानी जाती थी, लेकिन अब एसबीआई की हालिया रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। भारत की गरीबी दर अब 4-4.5 प्रतिशत के आस-पास है, जो किसी भी समय से कम नहीं, बल्कि लगभग न्यूनतम स्तर पर है। यह बदलाव शहरी और ग्रामीण इलाकों में घटती गरीबी के संकेत के रूप में उभर कर सामने आया है।
2024 तक, भारत में गरीबी दर पाँच प्रतिशत से भी नीचे गिरने का अनुमान है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अत्यधिक गरीबी लगभग समाप्त हो चुकी है। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, 2012 के मुकाबले आज के आंकड़े बिल्कुल अलग हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पिछले कुछ सालों में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गरीबी की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में ग्रामीण गरीबी का आंकड़ा मात्र 4.86 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि 2012 के 25.7 प्रतिशत से एक ऐतिहासिक गिरावट है। वहीं, शहरी इलाकों में गरीबी की दर घटकर 4.09 प्रतिशत हो गई है, जो 2012 में 13.7 प्रतिशत थी। यह बदलाव बेहद सकारात्मक है और भारत की विकास यात्रा में एक नया मोड़ दर्शाता है।
यह सुधार सरकार की कई लक्षित नीतियों, निरंतर आर्थिक विकास और सामाजिक सुधारों का परिणाम माना जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि पिछले दस वर्षों में 23 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। अब, एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि आने वाले सालों में शहरी क्षेत्रों में गरीबी की स्थिति और सुधर सकती है।
अगले कुछ सालों में 2021 की जनगणना के बाद, जब शहरी-ग्रामीण आबादी के अपडेटेड आंकड़े सामने आएंगे, तो इस आंकड़े में और भी सुधार हो सकता है। एसबीआई का मानना है कि शहरी गरीबी में और कमी आ सकती है।
यह कहानी एक संकेत है, एक उदाहरण है कि कैसे लगातार प्रगति और सही नीतियों के साथ एक विशाल परिवर्तन संभव हो सकता है। क्या यह भारत के भविष्य को उज्जवल बनाएगा? वक्त ही बताएगा।
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