गणतंत्र दिवस की परेड में गुजरात की झांकी इस बार एक अनोखे संदेश के साथ सामने आई है, जिसमें 'विरासत भी, विकास भी' की थीम को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है। यह झांकी न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर गुजरात के अभूतपूर्व विकास की भी एक जीवंत तस्वीर पेश करती है। 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर गुजरात ने अपनी झांकी के माध्यम से राज्य और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत और विकास के अद्भुत मिलाजुला रूप को दिखाया है।
झांकी में 12वीं सदी के वडनगर में स्थित सोलंकी कालीन ‘कीर्ति तोरण’ से लेकर 21वीं सदी की प्रतीक, दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को दर्शाया गया है। इस झांकी के जरिए यह दिखाया गया है कि गुजरात ने सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ रक्षा, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
गुजरात की झांकी में सोलंकी काल के 'कीर्ति तोरण' से लेकर 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' तक के सफर को दिखाया गया है। इसके साथ ही, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में गुजरात के कई प्रमुख विकास मॉडल को भी उजागर किया गया है, जैसे कि वडोदरा में ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड’ द्वारा भारतीय वायुसेना के सी-295 एयरक्राफ्ट की यूनिट, सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षेत्र की सफलता और ऑटो-मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में गुजरात की बढ़ती पहचान।
झांकी के अंत में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिष्ठित 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को दिखाया गया है, जो न केवल गुजरात, बल्कि पूरे देश की ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक बन चुकी है। इसके साथ ही, 'अंडर वाटर स्पोर्ट्स' की गतिविधियों और कच्छी कलाकृतियों ने झांकी को और भी जीवंत और आकर्षक बना दिया है।
गुजरात की इस शानदार झांकी को और भी जीवंत बनाने के लिए पारंपरिक मणियारा रास नृत्य और अर्वाचीन दोहे का समावेश किया गया है, जिससे दर्शकों को एक अनोखा अनुभव मिलेगा। इस झांकी के निर्माण में गुजरात सरकार के सूचना विभाग के अधिकारी श्रीमती अवंतिका सिंह औलख, श्री किशोर बचाणी और डॉ. संजय कचोट का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है, जबकि स्मार्ट ग्राफ आर्ट एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड के श्री सिद्धेश्वर कानूगा ने इस झांकी के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
गुजरात की यह झांकी न केवल राज्य के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को उजागर करती है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर गुजरात के कदमों को भी प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करती है।
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