शांति और पर्यटन के लिए विख्यात नैनीताल बुधवार रात अचानक नफरत और हिंसा की आग में झुलस उठा। एक मासूम बच्ची से दुष्कर्म की खबर शहर में आग की तरह फैली और इसके साथ ही शुरू हो गया एक बेकाबू उग्र प्रदर्शन। रात करीब 9:30 बजे से 12:30 बजे तक मल्लीताल की गलियों में जो कुछ भी हुआ, वह भयावह, अराजक और हैरान कर देने वाला था।
आरोप है कि "उस्मान" नामक एक बुजुर्ग ठेकेदार ने एक मासूम बच्ची को काम के बहाने अपने घर बुलाकर दुष्कर्म किया और बाद में उसे सड़क पर छोड़कर फरार हो गया। बच्ची की हालत देख परिजनों ने जब पुलिस को सूचना दी तो तुरंत कार्रवाई कर आरोपी को हिरासत में लिया गया, लेकिन यह खबर शहर में फैलते ही भीड़ उग्र हो उठी।
हजारों की भीड़ ने मल्लीताल कोतवाली को घेर लिया और आरोपी को सौंपने की मांग की। इसी दौरान पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे, दूसरे समुदाय की दुकानों में तोड़फोड़, और पथराव की घटनाएं सामने आईं। गाड़ी पड़ाव बाजार से लेकर कोतवाली तक करीब 1 किलोमीटर के दायरे में बवाल मच गया। दुकानदारों को पीटा गया, दुकानों का सामान बिखेरा गया और मकानों पर पत्थर बरसाए गए। भीड़ कई बार एकत्र होती और फिर दूसरी दिशा से हमला बोल देती।

स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कई लोगों के घायल होने की सूचना है। धार्मिक स्थल के दरवाजों पर भी पत्थर फेंके गए, जिससे सांप्रदायिक तनाव और बढ़ गया। वहीं खिड़कियों से झांकते परिवार, भयभीत बच्चों की चीखें, और बंद दरवाजों के पीछे से आती दहशत, पूरे नैनीताल को दहला रही थीं।
इस पूरी घटना के बाद हिंदू संगठनों ने बृहस्पतिवार को पूरे नैनीताल बंद का एलान कर दिया है। पुलिस ने आसपास के थानों से अतिरिक्त फोर्स मंगवाया है और स्थिति पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है। आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और पीड़िता का मेडिकल कराया गया है।
इस घटना ने नैनीताल की आत्मा को झकझोर दिया है। सवाल यह नहीं है कि दोषी कौन है – सवाल यह है कि हम समाज के तौर पर कितने सुरक्षित हैं, और मासूमों के लिए न्याय कितना त्वरित और प्रभावी है।
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