जिला पंचायत गौतम बुद्ध नगर के प्रांगण में आज एक ऐतिहासिक और भावनात्मक कार्यक्रम के तहत 1857 की क्रांति और भारत-पाक युद्धों में बलिदान देने वाले अमर शहीदों की स्मृति में शिलालेख का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय पंचायती राज मंत्री श्री ओमप्रकाश राजभर ने लोकार्पण किया। कार्यक्रम में "मिशन सिंदूर" के तहत तिरंगा यात्रा के आलोक में शहीदों को समर्पित यह पहल की गई है, जिसका निर्देशन माननीय जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अमित चौधरी ने किया।
कार्यक्रम में माननीय सांसद डॉ. महेश शर्मा, दादरी विधायक श्री तेजपाल सिंह नागर, विधान परिषद सदस्य श्री नरेंद्र भाटी, जिला पंचायत सदस्य श्री देव भाटी, मोहिनी, अभिषेक शर्मा, और जिले के तमाम गणमान्य जनप्रतिनिधि, ग्राम प्रधान, सामाजिक कार्यकर्ता तथा अधिकारीगण शामिल रहे।
अपने संबोधन में मंत्री श्री ओमप्रकाश राजभर ने 1857 की क्रांति में दादरी रियासत की अहम भूमिका को याद करते हुए कहा कि यह भूमि हमेशा से वीरता की गाथा लिखती रही है। उन्होंने बताया कि 1857 के महासंग्राम में दादरी के ग्रामीणों ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और करीब एक साल तक ब्रिटिश सत्ता का प्रभाव इस क्षेत्र से समाप्त कर दिया गया था।\

मंत्री ने ऐतिहासिक तथ्यों को साझा करते हुए बताया कि ब्रिटिश अधिकारी मिस्टर टर्नबुल की रिपोर्ट में दादरी को सबसे अधिक ‘गड़बड़ी वाला क्षेत्र’ कहा गया था। 1874 में बुलंदशहर के डिप्टी कलेक्टर कुंवर लक्षण सिंह ने अपनी रचना में लिखा कि राव रोशन सिंह, राव उमराव सिंह, राव बिशन सिंह, राव भगवंत सिंह जैसे योद्धाओं ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था, जिसके बाद उनकी संपत्तियां जब्त कर ली गईं और उन्हें व उनके परिवारजनों को मृत्यु दंड दिया गया।
कार्यक्रम में क्षेत्र के ऐसे अनेक शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी गई जिन्होंने 1857 की क्रांति और उसके बाद देश की आजादी की लड़ाई में प्राणों की आहुति दी। इनमें प्रमुख नाम रहे - झण्डू जमीदार (हिम्मत सिंह गांव), सहाब सिंह (नगला नैनसुख), हरदेव सिंह, रूपराम (बील), मजलिस जमीदार (लुहारली), फत्ता नम्बरदार (चिटहेरा), हरदयाल सिंह गहलौत, दीदार सिंह (नगला समाना), राम सहाय (खगुआ बास), नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर), कदम गुर्जर (प्रेमपुर), करीम बख्श खान (तिलबेगमपुर), जबता खान (मुडसे), मैदा जमीदार, बस्ती जमीदार (सावली), भोलू गुर्जर (मसौटा), देवी सिंह जमीदार (मेहसे), और अन्य कई गुमनाम वीर जिन्होंने बलिदान दिया।
इनमें से 84 क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सरकार ने “रिंग लीडर” करार देकर बुलंदशहर के काला आम पर फांसी दी थी। कई अन्य को काले पानी की सजा देकर अंदमान भेजा गया। इस दुखद किंतु गौरवशाली इतिहास को भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत किया गया और सभी बलिदानियों को सामूहिक श्रद्धांजलि दी गई।
इस आयोजन को सफल बनाने में जिला पंचायत की अपर मुख्य अधिकारी प्रियंका चतुर्वेदी, अभियंता भैया अमर सिंह, अवर अभियंता ऋतुनम, प्रशासनिक अधिकारी जयकुमार भाटी सहित पूरी जिला पंचायत टीम का विशेष योगदान रहा।
“मिशन सिंदूर” का उद्देश्य – नई पीढ़ी को जोड़ना शहीदों की स्मृति से
जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अमित चौधरी ने कहा कि “मिशन सिंदूर” के तहत चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य है कि आज की पीढ़ी अपने क्षेत्र के वीर सपूतों की गाथा जाने, समझे और उनसे प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में सहभागी बने। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सिर्फ एक दिन की बात नहीं, यह निरंतर चेतना है, और हमें इसके रक्षकों की याद हमेशा बनाये रखनी चाहिए।
सांसद डॉ. महेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को तभी सार्थक किया जा सकता है जब हम अपने इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों को पूरी श्रद्धा से सम्मान दें।

विरासत को संजोने की दिशा में सार्थक पहल
यह कार्यक्रम न केवल इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, बल्कि स्थानीय स्तर पर सामुदायिक चेतना को जगाने वाली पहल है। मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रत्येक जिले में शहीदों की स्मृति में ऐसे स्थल विकसित करेगी, जिससे भावी पीढ़ी राष्ट्रवाद और बलिदान के महत्व को गहराई से समझ सके।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और शहीदों के नाम पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। उपस्थित जनों ने एक स्वर में नारा दिया – “वीर सपूतों को शत-शत नमन, भारत माता की जय।”
यह आयोजन एक उदाहरण है कि कैसे स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि मिलकर ऐतिहासिक धरोहरों को जीवित रख सकते हैं। यह शिलालेख न केवल स्मृति चिन्ह है, बल्कि प्रेरणा का स्त्रोत भी है – जो सदियों तक आने वाली पीढ़ियों को देशप्रेम और बलिदान का संदेश देता रहेगा।
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