जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की अध्यक्षता में
आज कलेक्ट्रेट सभागार में जिला भूगर्भ जल
प्रबंधन समिति की समीक्षा बैठक का
आयोजन किया गया। इस
बैठक का
मुख्य उद्देश्य जिले में
भूजल संरक्षण को मजबूत बनाना तथा
वर्षा जल
संचय के
लिए रेन
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की सक्रियता सुनिश्चित करना था। बैठक में भूगर्भ जल अधिकारी अंकिता राय
ने विभागीय पोर्टल पर
प्राप्त भूजल संबंधित आवेदन और उनकी स्थिति की
विस्तार से
जानकारी दी।
भूजल आवेदन और उनकी स्थिति की
जानकारी
भूगर्भ जल अधिकारी अंकिता राय
ने बताया कि जिले में कुल
53 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से
4 आवेदनों को
समिति द्वारा स्वीकृत किया गया है, जबकि 5 आवेदन अस्वीकृत किए गए
हैं। इसके अलावा 31 आवेदनों को
आगे की
प्रक्रिया के
लिए राज्य प्राधिकरणों को
भेजा गया
है। शेष
13 आवेदन संबंधित प्राधिकरणों से
रिपोर्ट आने
के बाद
ही आगे
बढ़ाए जाएंगे। इस प्रक्रिया से
जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है
कि भूजल के उपयोग में पारदर्शिता और
नियमों का
पालन हो।
भूजल संरक्षण के
लिए टास्क फोर्स को
निर्देश
जिलाधिकारी ने
जिले में
भूजल संरक्षण को बढ़ावा देने के
लिए जनपद स्तरीय टास्क फोर्स को
कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि
जिन उद्योगों,
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स,
कमर्शियल प्रतिष्ठानों और
सामूहिक उपभोक्ताओं को
भूजल उपयोग के लिए
अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया
है, उनके परिसर में
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सक्रिय रखना जरूरी है। इसके साथ ही, तालाबों के
जीर्णोद्धार और
जल संचयन के लिए
हो रही
गतिविधियों पर
भी निगरानी रखी जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि
कोई भी
संस्था या
व्यक्ति अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बावजूद रेन वाटर हार्वेस्टिंग या
जल संरक्षण के लिए
कोई कदम
नहीं उठा
रहा है, तो उस
प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया जाएगा। यह
कदम जिले में भूजल संरक्षण को
सख्ती से
लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

वर्षा ऋतु में
विशेष सावधानी
जिलाधिकारी ने
रेन वाटर हार्वेस्टिंग की
महत्ता को
देखते हुए
वर्षा ऋतु
को लेकर भी विशेष निर्देश दिए। उन्होंने कहा
कि रेजिडेंस सोसाइटियों, अपार्टमेंट्स, सरकारी कार्यालयों और
हाईराइज बिल्डिंगों में
लगे रेन
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की स्थिति की नियमित जांच की
जाए और
इन्हें सक्रिय रखा जाए
ताकि वर्षा जल का
संचय प्रभावी रूप से
हो सके।
अवैध भूजल दोहन पर विशेष निगरानी
भूजल संरक्षण के
लिए सबसे बड़ी चुनौती अवैध भूजल दोहन है।
जिलाधिकारी ने
सभी संबंधित अधिकारियों को
निर्देश दिए
कि वे
जिले में
कहीं भी
अवैध भूजल दोहन को
रोकने के
लिए कड़ी कार्रवाई करें। इसके लिए
विशेष अभियान चलाए जाएं और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
साथ
ही जिलाधिकारी ने
जनता को
जागरूक करने पर भी
जोर दिया। उन्होंने कहा
कि आम
जनता में
भूजल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए
जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं ताकि लोग भूजल की महत्ता समझें और
उसका संरक्षण करें।
बैठक में उपस्थित अधिकारी
इस
समीक्षा बैठक में मुख्य विकास अधिकारी विद्यानाथ शुक्ल, सिंचाई विभाग, प्राधिकरण तथा
अन्य संबंधित विभागों के
अधिकारी भी
मौजूद रहे। सभी ने
मिलकर जिले में भूजल संरक्षण के
लिए जरूरी कदम उठाने पर सहमति जताई और
आगे की
रणनीति बनाने पर चर्चा की।

जिला प्रशासन का
संकल्प
जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बैठक के अंत
में स्पष्ट किया कि
जिले में
भूजल संरक्षण को प्राथमिकता दी
जाएगी। रेन
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को व्यापक रूप से
लागू किया जाएगा और
अवैध दोहन पर कड़ी निगरानी रखी
जाएगी। उन्होंने सभी अधिकारियों से
अपेक्षा जताई कि वे
इस अभियान में पूरी निष्ठा और
लगन से
काम करें ताकि आने
वाले समय
में जिले में जल
संकट से
बचा जा
सके।
रेन
वाटर हार्वेस्टिंग क्यों जरूरी?
जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही
है, पानी की मांग भी बढ़
रही है।
परन्तु भूजल का स्तर लगातार घट
रहा है।
इसी कारण वर्षा जल
संचय के
लिए रेन
वाटर हार्वेस्टिंग की
तकनीक बहुत महत्वपूर्ण हो
गई है।
इससे वर्षा जल को
जमीन में
पुनर्भरित किया जाता है, जिससे भूजल स्तर स्थिर रहता है
और सूखे के समय
पानी की
कमी नहीं होती।
भविष्य के लिए
योजना
जिलाधिकारी ने
बताया कि
आगामी वर्ष में जिले में रेन
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के निर्माण के लिए
वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। साथ
ही स्कूल, अस्पताल, सरकारी संस्थान और
अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी
जल संचयन के लिए
विशेष परियोजनाएं लागू की जाएंगी। इसके साथ
ही, जल
संरक्षण को
लेकर जनपद स्तर पर
नए नियम और दिशा-निर्देश भी
बनाए जाएंगे।
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