Wednesday, June 18, 2025

विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर जागरूकता की ओर सशक्त कदम: नट की मंडिया गांव में विशेष कार्यक्रम आयोजित

विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर नट की मंडिया गांव में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन, किशोरियों को मिली स्वास्थ्य और स्वाभिमान की सीख

DEHRADUN , Latest Updated On - May 28 2025 | 18:50:00 PM
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गौतम बुद्ध नगर, 28 मई 2025  

जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के निर्देशानुसार जनपद में चल रहे स्वच्छता एवं महिला सशक्तिकरण अभियानों के तहत मंगलवार को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस के अवसर पर नट की मंडिया गांव में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन का संचालन स्वाभिमान टीम द्वारा होंडा इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों एवं महिलाओं को माहवारी स्वच्छता से जुड़ी वैज्ञानिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सीडीपीओ संध्या सोनी, काशीराम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स एवं महिला स्वास्थ्य से जुड़े विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे। उन्होंने महिलाओं और किशोरियों को संबोधित करते हुए माहवारी को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने पर बल दिया और साफ-सफाई के महत्व को विस्तार से समझाया।

महिलाओं और किशोरियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी

इस विशेष आयोजन में गांव की बड़ी संख्या में महिलाएं और किशोरियाँ शामिल हुईं। आयोजन की शुरुआत स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद विषय विशेषज्ञों द्वारा एक संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया। इसमें प्रतिभागियों को बताया गया कि माहवारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखना क्यों जरूरी है और इसकी अनदेखी करने पर शरीर में संक्रमण, यौन स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कैसे बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि माहवारी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे शर्म और संकोच से नहीं बल्कि समझ और सम्मान से देखा जाना चाहिए। किशोरियों को यह भी बताया गया कि घर और स्कूल दोनों जगह साफ-सफाई का विशेष ध्यान कैसे रखा जाए।


लाइफ स्किल सत्र और नुक्कड़ नाटक से भ्रांतियों पर प्रहार

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण किशोरियों के लिए आयोजित लाइफ स्किल सत्र रहा। इस सत्र में उन्हें माहवारी से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई। यह सत्र किशोरियों में आत्मविश्वास पैदा करने और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करने का माध्यम बना।

इसके अतिरिक्त किशोरियों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक ने माहवारी से जुड़े सामाजिक प्रतिबंधों और झिझकों को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया। नाटक में दिखाया गया कि कैसे समाज में माहवारी को लेकर चुप्पी और शर्म की भावना किशोरियों के मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधा बनती है। इसके ज़रिए प्रतिभागियों को यह संदेश मिला कि बदलाव की शुरुआत संवाद से होती है।

रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ा समुदाय

कार्यक्रम के दौरान आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता और इम्पैक्ट स्टोरीज (प्रभावशाली कहानियाँ) सत्र ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया। पोस्टर प्रतियोगिता में किशोरियों ने अपने विचारों को रंगों और चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया। वहीं, प्रभावशाली कहानियों में कुछ किशोरियों और महिलाओं ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए, जिससे यह पता चला कि जागरूकता और जानकारी के बल पर वे किस प्रकार अपनी सोच में बदलाव ला सकीं। इन कहानियों ने न केवल अन्य उपस्थित महिलाओं को प्रेरित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि सही जानकारी और सामाजिक समर्थन से माहवारी जैसे विषय पर भी खुलकर बात की जा सकती है।

समापन सत्र: सम्मान, प्रेरणा और भविष्य की दिशा

कार्यक्रम के अंतिम चरण में सीडीपीओ संध्या सोनी, डॉक्टर्स, और विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों से संवाद करते हुए अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्वच्छता के महत्व को दोहराते हुए कहा कि "माहवारी स्वच्छता न केवल स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है, बल्कि यह महिलाओं के आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण से भी जुड़ा हुआ है।"

सीडीपीओ ने कहा कि सरकार और विभिन्न संस्थाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे इस विषय पर खुला वातावरण बनाएं और किशोरियों को सही जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को जागरूक करने की आवश्यकता पर बल दिया।


स्वाभिमान टीम और होंडा इंडिया फाउंडेशन का सराहनीय प्रयास

स्वाभिमान टीम ने इस अवसर पर सभी अतिथियों, डॉक्टर्स, विशेषज्ञों और उपस्थित महिलाओं का आभार व्यक्त किया। प्रतिभाग करने वाली किशोरियों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया। टीम ने जानकारी दी कि इस प्रकार के कार्यक्रम आगे भी निरंतर आयोजित किए जाएंगे ताकि माहवारी स्वच्छता को लेकर समाज में बदलाव आ सके और किशोरियाँ आत्मविश्वास से भरा जीवन जी सकें।


यह आयोजन न केवल एक जागरूकता कार्यक्रम रहा, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव की ओर उठाया गया सशक्त कदम था। माहवारी जैसे विषय पर खुलकर चर्चा करना और उसे सामान्य मानवीय अनुभव के रूप में स्वीकार करना ही महिलाओं की वास्तविक आज़ादी और सशक्तिकरण की नींव है।

 

 

 

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