झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका, अगले पांच वर्षों तक राज्यसभा चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर होगी। जानें कैसे झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन राज्यसभा में अपना दबदबा बना सकता है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और उसके गठबंधन की शानदार जीत ने भाजपा के लिए भविष्य के राजनीतिक गणित को और जटिल बना दिया है। अब, भाजपा के लिए राज्यसभा चुनाव में कोई बड़ा असर डालना मुश्किल होगा।
राज्यसभा में अगले पांच वर्षों के दौरान चार सीटें रिक्त हो जाएंगी, लेकिन भाजपा के पास इतने विधायक नहीं हैं कि वे अपने दम पर इन सीटों पर जीत हासिल कर सकें। वर्तमान में भाजपा के पास केवल 21 विधायक हैं, और अगर एनडीए के घटक दलों - आजसू, जनता दल (यूनाइटेड) और लोजपा (रामविलास) को भी जोड़ लिया जाए, तो उनका कुल आंकड़ा 24 विधायक बनता है।
राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 27 विधायकों के पहले वरीयता के वोट की आवश्यकता होती है, जो भाजपा के लिए असंभव सा लग रहा है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद नहीं है कि वह अपने बलबूते पर राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकेगी।
वहीं, झामुमो की ताकत लगातार बढ़ रही है, और आगामी पांच वर्षों में राज्यसभा की चार सीटों पर कब्जा करने के लिए उसके पास मजबूत स्थिति होगी। फिलहाल, राज्यसभा में झामुमो और भाजपा के पास समान तीन-तीन सीटें हैं। अगले कुछ सालों में भाजपा की दो सीटें खोने की संभावना है, जिन पर झामुमो और कांग्रेस अपना कब्जा कर सकती है।
इस प्रकार, झारखंड के राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लिए अगले पांच साल तक कोई बड़ी उम्मीद नजर नहीं आती, जबकि झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन राज्यसभा में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा।
झारखंड राज्यसभा की गणित:
- शिबू सोरेन (झामुमो): 21 जून 2026 तक
- दीपक प्रकाश (भा.ज.पा.): 21 जून 2026 तक
- आदित्य साहू (भा.ज.पा.): 7 जुलाई 2028 तक
- महुआ माजी (झामुमो): 7 जुलाई 2028 तक
- प्रदीप कुमार वर्मा (भा.ज.पा.): 3 मई 2030 तक
- सरफराज अहमद (झामुमो): 3 मई 2030 तक
इस तरह, भाजपा के सामने राज्यसभा में अपनी स्थिति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा, और झामुमो अपनी बढ़ती ताकत के साथ अगले सालों में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
COMMENTS