बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने मणिपुर में भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। अब जेडीयू के विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर विपक्ष में बैठेंगे। यह घटनाक्रम मणिपुर में चल रहे हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच हुआ है।
मणिपुर की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हुआ है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भाजपा के नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। यह घटनाक्रम मणिपुर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लेकर आया है, क्योंकि जेडीयू ने अपना फैसला राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सूचित किया। अब जेडीयू का एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर विपक्षी सीटों पर बैठेंगे।
जेडीयू और भाजपा के बीच यह रिश्तों में दरार मणिपुर में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच और भी गहरा हो गया है। राज्य में कई महीने से जारी जातीय संघर्ष और हिंसा ने न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि इसके साथ ही भाजपा और जेडीयू के बीच के गठबंधन को भी मुश्किल में डाल दिया। जेडीयू के नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि मणिपुर में स्थिति में कोई सुधार न होने और भाजपा की सरकार द्वारा हिंसा को नियंत्रित करने में नाकामी के बाद पार्टी ने यह कदम उठाया है।
मणिपुर में जेडीयू का एकमात्र विधायक होने के बावजूद, इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव बड़ा माना जा रहा है। अब जेडीयू के विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, मणिपुर में भाजपा के लिए एक और चुनौती खड़ी हो गई है, जहां पहले से ही स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
क्या जेडीयू का यह कदम मणिपुर की भाजपा सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ाएगा? या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी राजनीतिक उतार-चढ़ाव है? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में ही मिल पाएगा, लेकिन इस वक्त मणिपुर की राजनीति में यह कदम एक नए राजनीतिक तूफान का संकेत दे रहा है।
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