गोवर्धन पूजा, जो इस वर्ष 2 नवंबर को मनाई जाएगी, भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की उपासना का पर्व है। इस दिन, भक्त गोबर से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा करते हैं। गाय के गोबर का उपयोग इस पूजा में विशेष माना जाता है, क्योंकि इसे पवित्र समझा जाता है। पूजा के बाद गोबर का उपयोग कृषि, बायोगैस निर्माण और घरेलू कामों में किया जा सकता है। यह पर्व न केवल धार्मिक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
गोवर्धन पूजा, जिसे हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस बार यह पर्व 2 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन, भक्त गोबर से भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं, जिनकी पूजा विधिपूर्वक की जाती है। आइए जानते हैं इस पूजा की परंपराओं, महत्व और गोबर के उपयोग के बारे में।
गोवर्धन पर्वत और गोबर की पूजा
गोवर्धन पूजा का मूल उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण और प्रकृति की उपासना करना है। मान्यता है कि इस दिन गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता आती है। कुछ लोग गाय के गोबर का उपयोग करते हैं, जबकि अन्य भैंस के गोबर का भी प्रयोग करते हैं। हालांकि, धर्म के जानकारों के अनुसार गोवर्धन पूजा के लिए गाय का गोबर सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इसे पवित्र और माता का दर्जा दिया गया है।
गोवर्धन पूजा की विधि
- गोबर से पर्वत बनाना: सबसे पहले गोबर से एक छोटा सा पर्वत बनाया जाता है।
- पूजा सामग्री: इस पर्वत की पूजा के लिए धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।
- छप्पन भोग: भक्तगण इस दिन भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजन और मिठाइयों का भोग लगाते हैं।
- आरती और परिक्रमा: पूजा के बाद आरती की जाती है और गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाती है।
गोबर का उपयोग और महत्व
गोवर्धन पूजा के बाद, गोबर को फेंकने के बजाय उसका उचित उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
- कृषि में उपयोग: गोबर को खेतों में डालकर उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है।
- बायोगैस निर्माण: गोबर से बायोगैस भी बनाई जा सकती है, जिसका उपयोग खाना पकाने और बिजली पैदा करने में किया जा सकता है।
- घरेलू उपयोग: गोबर से बनाए गए उपले सर्दियों में गर्मी के लिए जलाए जा सकते हैं और इससे वातावरण शुद्ध होता है।
पूजा के बाद गोबर का सही उपयोग
- अपवित्र स्थान पर न फेंकें: पूजा के बाद गोबर को कभी भी अपवित्र स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए।
- घर का आंगन लीपें: गोबर से घर के आंगन को लीपने से माता लक्ष्मी का स्वागत होता है।
- गोशाला में दें: अगर गोबर का प्रयोग नहीं कर सकते, तो इसे गोशाला में दे सकते हैं।
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह पर्यावरण की रक्षा और कृषि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस दिन की गई पूजा और उसके बाद गोबर के उपयोग से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
इस गोवर्धन पूजा पर, सभी भक्तों को शुभकामनाएँ!
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