उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा स्थित रजिस्ट्री ऑफिस में इन दिनों दलालों का गहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। यहाँ बिना दलालों के किसी भी काम का होना लगभग असंभव है। बाबूओं से लेकर उच्च अधिकारियों तक, सभी का काम बाहरी दलालों की सेटिंग पर निर्भर है। इस भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को उजागर करने के लिए जब DIG स्टाम ने जांच की, तो मीडिया से बचते हुए वे कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए। क्या अधिकारियों की चुप्पी के पीछे एक बड़ा खेल छुपा हुआ है? यह सवाल अब हर किसी के मन में उठ रहा है।
उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के रसड़ा स्थित उप निबंध कार्यालय (रजिस्ट्री ऑफिस) इन दिनों सुर्खियों में है। लेकिन इस बार ये सुर्खियाँ किसी सरकारी योजना या अच्छे काम के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के कारण उभर रही हैं। रसड़ा का रजिस्ट्री ऑफिस अब दलालों का अड्डा बन चुका है, जहाँ काम करने के लिए बाहर से दलालों की जरूरत पड़ती है। इस कार्यालय में चल रही गड़बड़ियों की गवाही अब क्षेत्रीय लोग भी दे रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि आखिर यह सब चल कैसे रहा है?
हाल ही में इस कार्यालय में आई अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए DIG स्टाम पहुंचे थे, लेकिन जैसे ही मीडिया ने उनसे सवाल करना शुरू किया, वे जवाब देने से बचते नजर आए। यह बात यह दिखाती है कि इस मामले में कुछ तो गड़बड़ है, जिसे अधिकारियों द्वारा छुपाया जा रहा है। आखिरकार क्या है जो ये अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं? क्या उनके पास खुद कोई जवाब नहीं है, या वे किसी बड़े दबाव में हैं?
दलालों के बिना नहीं होती रजिस्ट्री!
रसड़ा के इस रजिस्ट्री ऑफिस की सच्चाई यह है कि यहाँ के बाबू से लेकर अधिकारियों तक सभी का काम बाहरी दलालों के सेटिंग से चलता है। किसी भी भूमि की रजिस्ट्री के लिए बिना दलालों के कोई काम नहीं हो सकता। यह एक खुला राज बन चुका है कि इन दलालों के बिना यहाँ कोई काम नहीं होता। ये दलाल न केवल काम की गति को प्रभावित करते हैं, बल्कि रजिस्ट्री प्रक्रिया को अपनी मर्जी के हिसाब से बदल देते हैं, जिससे कई बार गड़बड़ियां भी उत्पन्न हो जाती हैं।
यहाँ तक कि रजिस्ट्री ऑफिस के बाबू और अधिकारियों की भी दलालों के साथ गहरी सेटिंग है। जब तक किसी दलाल का हाथ नहीं होता, तब तक इन बाबूओं के पास जाने की हिम्मत किसी आम आदमी की नहीं होती। जमीन के लेन-देन में यह दलालों का जाल इतने जटिल तरीके से फैला हुआ है कि इसे सुलझाना आम जनता के लिए नामुमकिन सा हो गया है।
अधिकारियों की खामोशी: कहीं कोई साजिश तो नहीं?
इन दिनों रसड़ा रजिस्ट्री ऑफिस में अधिकारियों की खामोशी ने सबको हैरान कर दिया है। किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस मामले पर बोलने की हिम्मत नहीं दिखाई है। यह खामोशी और भी ज्यादा संदेह उत्पन्न करती है। क्या यह चुप्पी किसी बड़े खेल का हिस्सा है? क्या इन अधिकारियों की यह चुप्पी भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश है? सवाल यह भी उठता है कि अगर रजिस्ट्री ऑफिस में दलालों का इतना बड़ा नेटवर्क है, तो क्या अधिकारी इस पर किसी तरह की जांच करेंगे, या ये सारा मामला यूं ही दबा रहेगा?
क्या होगा अगला कदम?
यह मामला अब क्षेत्र के आम नागरिकों और मीडिया में चर्चा का विषय बन चुका है। लोगों का मानना है कि अगर समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह भ्रष्टाचार और अव्यवस्था और भी बढ़ेगी। रसड़ा रजिस्ट्री ऑफिस में चल रही धांधली के खिलाफ आवाज़ उठाने की जरूरत है, ताकि इसके जरिए लोगों को इंसाफ मिल सके।
हालांकि, सवाल यह है कि क्या रसड़ा रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारियों पर दबाव बनाने वाली ताकतें अब सामने आएँगी, या यह मामला इसी तरह दबा रहेगा? क्या जिम्मेदार अधिकारी अब सामने आकर इस पर कोई ठोस कदम उठाएंगे, या यह चुप्पी और अनदेखी की कहानी यहीं खत्म हो जाएगी?
यह स्थिति गंभीर है और अब यह देखना होगा कि आगे क्या होता है!