गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 16 से 18 जनवरी तक आयोजित IEEE अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन IC3ECSBHI-2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मोबाइल रोबोटिक्स और ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस जैसे विषयों पर सवा तीन सौ से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। समापन सत्र के साथ सम्मेलन का समापन हुआ, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम ने आयोजन को और भी खास बना दिया।

16 से 18 जनवरी तक, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में एक ऐसा IEEE अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसे लेकर पूरे विश्व के शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों और विद्वानों में भारी उत्साह है। "कॉग्निटिव कंप्यूटिंग इन इंजीनियरिंग, कम्युनिकेशंस, साइंसेस एंड बायोमेडिकल हेल्थ इन्फॉर्मेटिक्स (IC3ECSBHI-2025)" नामक इस सम्मेलन का आयोजन तीन दिन तक चलने वाला है, और इसका मकसद विज्ञान, तकनीकी और स्वास्थ्य क्षेत्रों के जटिल मुद्दों के समाधान के लिए नई दिशा प्रदान करना है।
16-17 जनवरी: तकनीकी विचारों का तूफान!
सम्मेलन के पहले दो दिन में, उद्घाटन सत्र और सात तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों में देश-विदेश से आए लगभग दो सौ शोध-पत्रों का प्रस्तुतिकरण किया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मोबाइल रोबोटिक्स, ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस, इंडो-मलेशिया रिश्ते, और इंडस्ट्री 4.0 के तहत एआई का उपयोग जैसे कई महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी विषयों पर गहरे विचार विमर्श हुए।
कैसे बदल सकती है दुनिया?
यह सम्मेलन कॉग्निटिव कंप्यूटिंग के माध्यम से आधुनिक तकनीकों को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास कर रहा है। इसमें अमेरिकी, वियतनामी, बांग्लादेशी, ओमानी, कतर, बेल्जियम जैसे देशों के प्रतिनिधि और भारत के प्रसिद्ध लेखक, समीक्षक और प्रस्तुतकर्ता एक मंच पर हैं। यह न केवल एक वैज्ञानिक मंथन है, बल्कि इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया संवाद स्थापित किया है, जिससे आने वाले दिनों में नई तकनीकी क्रांति की दिशा तय हो सकती है।
18 जनवरी: एक शाम कला और संस्कृति से सज गई!
16 जनवरी की शाम को इस सम्मेलन का एक और आकर्षण सामने आया – गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक परिषद के छात्रों ने नृत्य और संगीत की प्रस्तुति के जरिए आयोजन को एक नया आयाम दिया। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्मेलन की गंभीरता के बीच एक ताजगी और रंगीनी का अहसास दिला गया, जिससे उस शाम का माहौल पूरी तरह से मंत्रमुग्ध कर देने वाला बन गया।
कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व में यह सम्मेलन, कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी और जनरल चेयर कान्फ्रन्स IEEE डॉ. एम. ए. अंसारी के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहा है, जो तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बना रहे हैं। अब सवाल यह उठता है – क्या इस सम्मेलन से निकले विचार दुनिया की तकनीकी धारा को नया मोड़ देंगे? क्या आने वाले वर्षों में हम इसका प्रभाव महसूस करेंगे? यह सिर्फ समय ही बताएगा।

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