गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय ने 20 जनवरी 2025 को "Bioprocessing and Biomanufacturing" पर एक सप्ताह का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू किया। इस कार्यक्रम में बायोप्रोसेसिंग और बायोमैन्युफैक्चरिंग से संबंधित उन्नत विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
20 जनवरी 2025 को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (GBU) के जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय में एक ऐसे कार्यक्रम का उद्घाटन हुआ, जिसने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में नयापन लाया, बल्कि बायोप्रोसेसिंग और बायोमैन्युफैक्चरिंग की दुनिया में नए आयाम खोलने का वादा किया। भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) और संस्थान नवाचार परिषद (IIC) के सहयोग से आयोजित इस विशेष "Hands-on Workshop on Bioprocessing and Biomanufacturing: From Fundamentals to Industrial Applications" विषय पर एक सप्ताह का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) शुरू हुआ, जो समकालीन जैवप्रौद्योगिकी के उन्नत पहलुओं पर केंद्रित है।
कार्यक्रम का उद्घाटन जैव प्रौद्योगिकी विद्यालय के डीन, प्रो. एन.पी. मेलकानिया के उद्घाटन वक्तव्य से हुआ, जिसमें उन्होंने अंतर्विषयक सहयोग और सतत विकास के लिए नई दिशा की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी बातें केवल विचारशील नहीं थीं, बल्कि यह संदेश दे रही थीं कि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार की शक्ति का सही इस्तेमाल करने के लिए यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण मंच बनेगी।
इस कार्यशाला में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति, प्रो. रविंद्र कुमार सिन्हा, ने मुख्य संरक्षक के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। उन्होंने प्रतिभागियों से बातचीत में तकनीकी विकास, नवाचार-चालित शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. सिन्हा ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम न केवल बायोइंडस्ट्री में अनुसंधान प्रगति को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह प्रतिभागियों को औद्योगिक और अनुसंधान प्रगति के लिए तैयार भी करेगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के जैव रासायनिक इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रख्यात वैज्ञानिक प्रो. के.जे. मुखर्जी ने अपने संबोधन में बायोप्रोसेसिंग प्रौद्योगिकियों के विकास की महत्ता और उनके औद्योगिक अनुप्रयोगों पर जोर दिया। उनके प्रेरणादायक मुख्य भाषण ने इस क्षेत्र के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े किए और उन्हें हल करने के रास्ते भी सुझाए।
यह कार्यक्रम विज्ञान और तकनीकी ज्ञान के उन प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिनका कार्यक्षेत्र बायोप्रोसेसिंग और बायोमैन्युफैक्चरिंग में अत्याधुनिक अनुसंधान और विकास से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम में डॉ. के. नरसिम्हुलु (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वारंगल), डॉ. रामगोपाल राव एस (बायोकॉन अकादमी, बेंगलुरु), प्रो. निधी चौधरी (एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा), और डॉ. करण कुमार (इंडस्ट्रियल सिस्टम्स बायोटेक्नोलॉजी ग्रुप, जर्मनी) जैसे प्रमुख वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभवों और विचारों से इस कार्यशाला को और भी समृद्ध किया।
कार्यक्रम के संयोजकों, डॉ. बरखा सिघल, डॉ. रेखा पुरिया और डॉ. निशा गौड़ के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम सफलता की ओर बढ़ रहा है। फैकल्टी समन्वयकों डॉ. इति शर्मा, डॉ. जितेंद्र सिंह और डॉ. विक्रांत नैन के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को एक नई दिशा दी गई है। उद्घाटन समारोह का संचालन डॉ. इति शर्मा और डॉ. निशा गौड़ ने किया, और डॉ. बरखा सिघल ने प्रतिभागियों को इस कार्यशाला के उद्देश्य और महत्व के बारे में जानकारी दी।
यह कार्यशाला 24 जनवरी 2025 तक जारी रहेगी, जिसमें बायोमैन्युफैक्चरिंग में समकालीन चुनौतियों और उन्नत प्रगति पर व्यावहारिक प्रशिक्षण और विशेषज्ञ चर्चा आयोजित की जाएगी। यह पहल गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है, जो जैव प्रौद्योगिकी में अत्याधुनिक अनुसंधान, कौशल विकास और शैक्षिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठा रहा है।
क्या यह कार्यशाला बायोइंडस्ट्री के भविष्य में एक नई क्रांति लाएगी? क्या यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को उन्नति के नए रास्ते दिखाएगा? यह सवाल ही इस कार्यशाला की सफलता की दिशा तय करेंगे!
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