गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में 22 जनवरी 2025 को एक दिवसीय उद्यमिता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों को स्वरोजगार और उद्यमिता के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। भारत सरकार के लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्रालय के सहयोग से हुए इस शिविर में विशेषज्ञों ने छात्रों को विभिन्न सरकारी योजनाओं और उद्यमिता के लाभ के बारे में बताया।
ग्रेटर नोएडा, 22 जनवरी 2025: आज गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में एक अनोखा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने छात्रों के मन में उद्यमिता के बीज बो दिए। एक दिवसीय उद्यमिता जागरूकता शिविर का आयोजन विश्वविद्यालय और भारत सरकार के लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्रालय के सहयोग से हुआ। इस कार्यक्रम ने छात्रों को स्वरोजगार की दिशा में सोचने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रबंधन विभाग की डॉ. इंदू उप्रेती ने की, जिन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और युवाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "उद्यमिता केवल व्यवसाय शुरू करने का नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो हमें नए रास्ते और अवसरों की ओर ले जाती है।"
लेकिन सबसे अहम और दिलचस्प पल तब आया जब गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरके सिन्हा ने छात्रों से संवाद करते हुए कहा, "आज हमें ऐसे उद्यमियों की आवश्यकता है, जो हमारे देश के लिए गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे वैश्विक उत्पाद तैयार करें। भारत की बड़ी आबादी एक बड़ा बाजार प्रदान करती है, जो व्यापार के नये अवसरों को जन्म देती है।" उन्होंने उद्यमिता में रिस्क प्रबंधन, रचनात्मकता, और वित्तीय जागरूकता को जरूरी बताया और विद्यार्थियों को इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
कार्यक्रम में एक और प्रमुख वक्ता, एमएसएमई ओखला के संयुक्त निदेशक डॉ. आरके भारती ने छात्रों को भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने जीवन में सफलता के चार महत्वपूर्ण स्तंभों की बात की - "डिजायर, डायरेक्शन, डिसिप्लिन, और डेडिकेशन"। उनका यह संदेश विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।
सह निदेशक डॉ. डीएस तोमर ने सूक्ष्म मंत्रालय की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया, जिससे विद्यार्थियों को इन योजनाओं का सही उपयोग करने की दिशा मिली।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नवीन ने बताया, "भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छात्रों को स्वरोजगार के रास्ते पर चलना होगा। जब अधिक से अधिक युवा उद्यमिता की ओर कदम बढ़ाएंगे, तो न केवल वे खुद अपने भविष्य को उज्जवल बनाएंगे, बल्कि हमारे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।"
इस कार्यक्रम में शारदा विश्वविद्यालय से डॉ. अमित सहगल, उद्यमी विवेक कुमार, केनरा बैंक की श्रीमती इंदू जैसवाल, और कई अन्य शिक्षाविदों, उद्यमियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। साथ ही सैकड़ों छात्र-छात्राएं और शिक्षक भी उपस्थित थे।
इस शिविर ने ना केवल छात्रों के बीच उद्यमिता के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए एक सशक्त मंच भी प्रदान किया। क्या यह शिविर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए भविष्य में बड़े बदलाव की शुरुआत करेगा? क्या वे अपने विचारों को व्यवसायों में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे? यह सवाल इस शिविर की सफलता के साथ जुड़े हुए हैं और आने वाला समय इसका जवाब देगा!