लखनऊ/चित्रकूट/झांसी/औरैया/हाथरस/अयोध्या, 11 जूनः
उत्तर प्रदेश में खेती अब सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि तकनीकी समृद्धि की नई परिभाषा बन रही है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ के तहत योगी सरकार खेतों तक विज्ञान, योजनाओं और आत्मनिर्भरता का पैगाम लेकर पहुँची है। अभियान के 14वें दिन कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने चित्रकूट के सिद्धपुर और झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में किसानों से सीधा संवाद कर खेती के भविष्य का खाका पेश किया।
कृषि मंत्री ने कहा, “सरकार की योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कुसुम योजना, ड्रिप इरिगेशन, पॉलीहाउस, आईपीएम, खेत तालाब निर्माण, और मल्चिंग सिस्टम, केवल कागज की बात नहीं, ज़मीन पर परिणाम दे रही हैं। यह योजनाएं खेती को लाभ में लाने का अवसर हैं – जिन्हें किसान भाई सरलता से अपना सकते हैं।”
प्रशिक्षण शिविरों में दलहन-तिलहन बीज मिनीकिट्स का मुफ्त वितरण भी किया गया। उर्द, मूंग, तिल, मूंगफली जैसे पारंपरिक बीजों को तकनीकी सहयोग से नए जीवन की संजीवनी दी गई।

औरैया से हाथरस तक, विज्ञान और किसान आमने-सामने
औरैया के बेरी कपरिया गांव में पूर्व कृषि मंत्री लाखन सिंह ने किसानों को सिखाया कि मृदा परीक्षण, संतुलित उर्वरक उपयोग, डीएसआर विधि, पॉलीहाउस, स्प्रिंकलर और सहफसली खेती जैसी विधियाँ लाभ और उपज दोनों को दोगुना करती हैं।
हाथरस के ससानी ब्लॉक के गांव रेहाना में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से सीधा संवाद करते हुए 'प्राकृतिक खेती', 'नैनो यूरिया', 'मिलेट्स मिशन' और 'कृषि यंत्रीकरण' की जानकारी दी। साथ ही किसानों को पौधरोपण के लिए प्रेरित किया गया।
‘लैब टू लैंड’ का सपना साकार हो रहा
अयोध्या के मनुडीह दुदी ग्राम पंचायत में कृषि विभाग और वैज्ञानिकों ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम सम्मान निधि, एनएफएसएम जैसी योजनाओं की पूरी जानकारी दी। वहीं, कानपुर देहात के गजनेर में लगे कैंप में किसानों ने पहली बार वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष संवाद किया।

अभियान के आँकड़े जो बना रहे हैं नया इतिहास:
75 जनपदों में 9450 से अधिक स्थानों पर हुआ आयोजन
16.91 लाख किसान बने साक्षी और सहभागी
कृषि वैज्ञानिक, जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी जुटे खेत-खलिहानों तक
कृषि का नया युग — प्रेरणा, योजना और तकनीक का संगम
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025’ केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है — जहां किसान को महज़ लाभार्थी नहीं, बल्कि सशक्त भागीदार बनाया जा रहा है। खेतों तक पहुंचा ज्ञान, तकनीक और सरकार की नीतियां अब अन्नदाता को बदलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
अब खेती सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि विज्ञान और प्रबंधन से जुड़ी सफल कहानी बन रही है।

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