आध्यात्मिकता और उत्साह से ओतप्रोत एक ऐतिहासिक दिन, जब श्री अयोध्याधाम में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूरे हुए, पूरे देश में उमंग और उल्लास का वातावरण था। इस विशेष अवसर पर, श्रीरामचरितमानस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कदम बढ़ाने के साथ ही गुलमोहर सोसाइटी के पाकेट-ए में आयोजित एक अभूतपूर्व कार्यक्रम ने सबका ध्यान आकर्षित किया।
श्रीरामचरितमानस प्रसार ट्रस्ट, जो इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रेरित है, ने सोसायटीवासियों के सहयोग से मन्दिर में एक भव्य श्रीरामचरितमानस अखण्ड पाठ और विशाल भण्डारे का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक था, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरणास्त्रोत भी साबित हुआ। और सबसे खास बात? 108 श्रीरामचरितमानस ग्रंथ भक्तों को भेंट किए गए, जो आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बन गए।
इस अद्भुत अवसर पर श्रीरामचरितमानस मण्डली और श्री बाला जी मण्डली के सदस्यों ने अखण्ड पाठ किया, जो शांति और दिव्यता का अनुभव प्रदान कर रहा था। समाज द्वारा संकलित श्रीरामचरितमानस ग्रंथ को भेंट किया गया, जिससे आस्थावान लोगों का एक नया संकल्प जागृत हुआ।
लेकिन इस आयोजन का असली रोमांच इससे कहीं बढ़कर था। श्रीरामचरितमानस विश्वविद्यालय की स्थापना का सपना अब और भी साकार होता नजर आ रहा था। श्रीरामचरितमानस मण्डली ने ट्रस्ट की स्थापना की है और समाज के अग्रणी आस्थावान व्यक्तियों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय योगी आदित्यनाथ जी से जमीन की प्राप्ति के लिए निवेदन किया है। विश्वविद्यालय की योजना बीएचयू की शैली में स्थापित करने की है, जिससे समाज के पिछड़े वर्ग के युवाओं को उच्च शिक्षा के अवसर मिल सकें।

यह विश्वविद्यालय राष्ट्र और हिंदू धर्म के आदर्शों पर आधारित निष्ठावान डाक्टर, इंजीनियर और मैनेजर तैयार करेगा, जो राष्ट्र की नींव को और मजबूत करेंगे। यह सिर्फ एक शैक्षिक संस्थान नहीं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण कदम होगा, जो भारत के युवा शक्ति को नया दिशा देगा।
और यह अभियान यहाँ रुकने वाला नहीं था। श्रीरामचरितमानस मण्डली ने 2007 से अब तक लगभग 2600 घरों में निशुल्क श्रीरामचरितमानस अखण्ड पाठ और सुंदरकाण्ड पाठ किया है। अब, इस मिशन को राष्ट्रव्यापी बनाने के लिए, इस वर्ष 11,000 श्रीरामचरितमानस ग्रंथों को पूरे देश में भेंट कर इस अभियान को एक नई ऊँचाई देने का संकल्प लिया गया है।
इस भव्य आयोजन में ट्रस्ट अध्यक्ष डॉ. सुनील मिश्रा, जितेन्द्र शुक्ला, मनोज सिंह, शशांक, राजीव तिवारी और गुरु जी सहित समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे। यह अवसर न केवल धार्मिक था, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का प्रतीक था।
क्या यह अभियान देशभर में एक नई चेतना और जागरूकता लाएगा? क्या श्रीरामचरितमानस विश्वविद्यालय समाज के पिछड़े वर्ग के लिए एक नई उम्मीद बनेगा? समय ही बताएगा।

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