नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शुक्रवार रात से जारी बारिश और ओलावृष्टि ने वायु गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार किया है, जिससे AQI ग्रीन जोन में पहुंच गया। पिछले पांच सालों में पहली बार नोएडा का AQI 88 और ग्रेटर नोएडा का 92 दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार, आगामी दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना है, जिससे प्रदूषण में और कमी हो सकती है। इस बदलाव का किसानों के लिए भी सकारात्मक असर पड़ा है, खासकर गेहूं की फसल पर।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शुक्रवार रात से मूसलधार बारिश और ओलावृष्टि ने जो असर दिखाया, वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। एक तरफ जहां मौसम ने अपने रंग दिखाए, वहीं दूसरी ओर हवा में भी ऐसा बदलाव आया जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। पिछले पांच सालों में पहली बार, नोएडा और ग्रेटर नोएडा की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ग्रीन जोन में पहुंच गया! हां, आपने सही पढ़ा! नोएडा का AQI 88 और ग्रेटर नोएडा का 92 था — ऐसे स्तर पर जो 'स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित' माने जाते हैं।
यह बदलाव कैसे हुआ?
मौसम विभाग के अनुसार, लगातार बारिश और ओलावृष्टि ने वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में अहम भूमिका निभाई। अधिकतम तापमान 14.7 डिग्री और न्यूनतम 12.4 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना है, जिससे प्रदूषण के खतरनाक स्तर में गिरावट आई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मौसमी गतिविधियां वायु गुणवत्ता को सुधारने में सहायक साबित हो रही हैं।
याद कीजिए, तीन साल पहले यानी 28 दिसंबर 2020 को नोएडा का AQI 225 और ग्रेटर नोएडा का 237 था, जो आज के मुकाबले कहीं अधिक खतरनाक था। अब, पांच साल बाद, वही नोएडा और ग्रेटर नोएडा साफ और ताजगी से भरी हवा का अनुभव कर रहे हैं। यह बदलाव पूरे क्षेत्र के लिए किसी राहत से कम नहीं है।
हालांकि, मौसम के अपने कुछ 'दुष्परिणाम' भी थे।
ओलावृष्टि ने बिजली आपूर्ति को भी प्रभावित किया। ट्रांसफार्मर और बिजली की लाइनों को नुकसान पहुंचा, जिसके कारण सेक्टर 71, 72, 73, 74 जैसे क्षेत्रों में दिनभर बिजली की कटौती की समस्या रही। विद्युत निगम के कर्मचारी शाम तक आपूर्ति बहाल करने में जुटे रहे।
किसानों के लिए भी यह मौसम एक वरदान साबित हुआ।
पिछले कुछ महीनों में प्रदूषण और मौसम की बेरुखी ने किसानों को काफी परेशान किया था, लेकिन इस बारिश ने उनका हौसला और बढ़ा दिया। खासकर दादरी और जेवर के किसानों के लिए यह बारिश बहुत फायदेमंद साबित हुई। वे मानते हैं कि इस वक्त की बारिश से उनकी गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि लाभ हुआ है। एक स्थानीय किसान हरीश ने बताया, "फसल के लिए यह बारिश वरदान है। नुकसान तब होता है, जब फरवरी-मार्च में बारिश होती है, लेकिन अब तो हम खुश हैं।"
क्या आगे भी ऐसा रहेगा?
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान के और गिरने का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि वायु गुणवत्ता में और भी सुधार हो सकता है। लेकिन, साथ ही बिजली आपूर्ति की समस्याएं और मौसमी उतार-चढ़ाव भी जारी रह सकते हैं।
इस बदलाव ने यह साबित कर दिया कि प्रकृति अपने तरीके से सब कुछ संतुलित करती है। अब, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लोग एक बार फिर से पहाड़ों जैसी ताजगी और शुद्ध हवा का अनुभव कर पा रहे हैं। और यह सवाल भी उठता है—क्या हमें वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए ऐसी और प्राकृतिक गतिविधियों की जरूरत है?
COMMENTS