विश्व एड्स दिवस पर सोनभद्र जिले में एचआईवी संक्रमितों की बढ़ती संख्या की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। 68 बच्चे भी यह संक्रमण अपने माता-पिता से प्राप्त कर चुके हैं। जागरूकता और उपचार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
1 दिसंबर को हर साल मनाया जाने वाला विश्व एड्स दिवस इस साल भी खास महत्त्व रखता है। इस अवसर पर समाज में एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एचआईवी संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। वर्तमान में जिले में 1368 एचआईवी संक्रमित मरीज पंजीकृत हैं, जिनमें 665 पुरुष, 536 महिलाएं और 68 बच्चे शामिल हैं, जिन्हें यह बीमारी अपने माता-पिता से प्राप्त हुई है।
वृद्धि की दिशा में बढ़ता हुआ आंकड़ा
सोनभद्र जिले में एचआईवी संक्रमितों की संख्या हर साल बढ़ रही है। 1 अप्रैल से नवंबर तक जिले में 171 नए मामले सामने आए, जिनमें 11 गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं। इस आंकड़े में पिछले सालों के मुकाबले तीन गुना बढ़ोतरी देखी गई है। 2023-24 में 236 नए मामले सामने आए, जबकि 2022-23 में यह संख्या 174 और 2021-22 में 82 थी।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी गर्भवती महिला को एचआईवी संक्रमण है, तो उसे नियमित रूप से दवाएं लेनी चाहिए। इससे उसके बच्चे को संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है। वर्तमान में जिले में 11 गर्भवती महिलाएं इस संक्रमण से ग्रस्त हैं।
मौत के आंकड़े भी चौंकाने वाले
पिछले कुछ वर्षों में जिले में 40 एचआईवी संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है, जिसमें 16 महिलाएं और 24 पुरुष शामिल हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है, और जागरूकता की कमी के कारण कई लोग इलाज से बचते हैं।
एचआईवी संक्रमण के लक्षण
एचआईवी संक्रमण के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:
- लगातार बुखार,
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द,
- त्वचा पर लाल चकत्ते,
- जी मिचलाना, उल्टी और दस्त,
- गले में खराश और मुंह में घाव,
- शरीर का वजन कम होना,
- सूखी खांसी और रात को पसीना आना।
जांच और उपचार के लिए सुविधाएं
जिले में एचआईवी जांच की सुविधाएं जिला अस्पताल, सीएचसी म्योरपुर, चोपन, दुद्धी और घोरावल में उपलब्ध हैं। यहां मरीजों की पहचान गोपनीय रखी जाती है और जांच की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित होती है। खासकर मारकुंडी खनन क्षेत्र में एचआईवी संक्रमितों की संख्या अधिक पाई गई है, जहां खनन श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच नहीं हो पाती, और वे बिना जाने एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
निष्कर्ष
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर यह समय है जब हमें एचआईवी और एड्स के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। गर्भवती महिलाओं और विशेषकर खनन श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि इस बीमारी का प्रसार रोका जा सके और पीड़ितों की संख्या में कमी लाई जा सके।
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