ग्रेटर नोएडा: पर्यावरण संरक्षण और पशु कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक की अध्यक्षता अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACEO) श्रीलक्ष्मी वी.एस. ने की, जिसमें शहर की स्वच्छता, पर्यावरणीय संतुलन और जन सुरक्षा पर सीधा असर डालने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
बैठक में लिया गया सबसे बड़ा निर्णय था प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध। यह निर्णय लिया गया कि अब ग्रेटर नोएडा के बाजारों, दुकानों, मॉल्स और फुटपाथ दुकानों पर किसी भी प्रकार के प्लास्टिक बैग, डिस्पोजेबल प्लास्टिक आइटम या सिंगल-यूज़ प्लास्टिक की अनुमति नहीं होगी। इसके स्थान पर, कपड़े और जूट से बने बैग्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही, बायोडिग्रेडेबल और पुनः उपयोग योग्य विकल्पों को अनिवार्य किया जाएगा, जैसे कि प्लास्टिक के बर्तन, स्ट्रॉ, चम्मच आदि के स्थान पर।
इस नए नियम का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जो व्यापारी या दुकानदार प्लास्टिक का उपयोग करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा और बार-बार उल्लंघन पर उनके लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है। शहरवासियों को भी जागरूक करने के लिए GNIDA एक अभियान चलाएगा, जिसमें उन्हें कपड़े या जूट के बैग का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा और दुकानदारों से प्लास्टिक बैग लेने से रोका जाएगा। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों, RWA और मार्केट एसोसिएशनों के साथ कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
इसके साथ ही, पशु कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया गया। बैठक में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की गई और एसीईओ श्रीलक्ष्मी वी.एस. ने निर्देश दिए कि शहर में स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए, ताकि जनसुरक्षा, खासकर बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को बढ़ाने वाली चिंताओं को दूर किया जा सके। इस पहल के तहत सभी आवारा कुत्तों का रजिस्ट्रेशन, स्वास्थ्य जांच और नसबंदी वैज्ञानिक और मानवीय तरीके से की जाएगी। इसके लिए अनुभवी एनिमल वेलफेयर NGOs के साथ साझेदारी की जाएगी, जो नगर निगम के साथ मिलकर इस कार्य को करेंगे।
बैठक में पर्यावरण और पशु कल्याण संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था, जिनमें इंटरनल एनर्जी फाउंडेशन, एंटी प्लास्टिक वॉरियर्स, ग्रीन गार्डियंस और अन्य सामाजिक संगठन शामिल थे। इन विशेषज्ञों ने न केवल प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों के बारे में प्रस्तुति दी, बल्कि वैकल्पिक उपायों के लिए भी सुझाव दिए। उनका मानना था कि प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने के लिए जन भागीदारी अनिवार्य है और इसके लिए शिक्षा संस्थानों और सामुदायिक समूहों को सक्रिय करना जरूरी होगा।
GNIDA की इस पहल का उद्देश्य सिर्फ कानून बनाना नहीं है, बल्कि ग्रेटर नोएडा को एक जिम्मेदार, स्वच्छ और पर्यावरण के प्रति जागरूक शहर बनाना है। प्राधिकरण का मानना है कि जब प्रशासन, जनता और सामाजिक संस्थाएं मिलकर काम करेंगी, तभी स्थायी परिणाम मिल सकते हैं। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि शहर में अधिक से अधिक ग्रीन जोन बनाए जाएं और वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही, जल संरक्षण के लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को नई निर्माण परियोजनाओं में अनिवार्य किया जाएगा।
श्रीलक्ष्मी वी.एस. ने बैठक के दौरान कहा, "पर्यावरण और पशु कल्याण हमारी प्राथमिकता में हैं। हम चाहते हैं कि ग्रेटर नोएडा न केवल औद्योगिक दृष्टि से अग्रणी हो, बल्कि यह एक स्वच्छ, हरित और मानवीय शहर के रूप में देश के लिए उदाहरण बने।" उनके नेतृत्व में पहले भी कई नागरिक हित के कार्य सफलतापूर्वक किए गए हैं, और अब प्लास्टिक मुक्त और पशु हितकारी शहर बनाने की इस नई पहल से शहरवासी बड़ी उम्मीदें जगा रहे हैं।
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