नोएडा
सेक्टर-52 स्थित मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षण के नाम पर भय का माहौल तैयार करने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। प्राथमिक कक्षा की एक छात्रा के साथ किए गए दुर्व्यवहार ने स्कूल की शिक्षण प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपित शिक्षिका ने केवल छात्रा के साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं किया, बल्कि परिजनों को भी धमकी भरे शब्दों में संवाद कर शारीरिक दंड की बात कह दी।
परिवार की ओर से बताया गया कि छात्रा की कक्षा में अनुशासनात्मक त्रुटि को लेकर क्लास टीचर ने न सिर्फ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया, बल्कि शाम होते-होते छात्रा की मां को फोन कर कहा कि "यदि बच्ची की गलती दोबारा दोहराई गई, तो मां को भी थप्पड़ मारा जाएगा।" बच्ची के माता-पिता इस रवैये से स्तब्ध रह गए।
बुधवार की सुबह छात्रा स्कूल जाने से पूरी तरह इनकार करती रही। जब परिजनों ने संवाद के माध्यम से कारण जानना चाहा, तो बच्ची ने विस्तार से पूरे घटनाक्रम को साझा किया। इस खुलासे के बाद परिजनों ने स्कूल प्रबंधन से सीधा संपर्क साधा, लेकिन वहां से उन्हें उपेक्षा और उदासीनता ही मिली। विद्यालय प्रशासन ने न तो शिक्षिका की हरकत को अनुचित माना, न ही परिजनों की बात को तवज्जो दी।
परिवार ने इसके बाद पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी उत्तर प्रदेश शासन तक पहुंचाई। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने तत्कालिक प्रतिक्रिया में विद्यालय स्टाफ के व्यवहार को अमानवीय करार देते हुए शिक्षा विभाग को सख्त निर्देश जारी किए हैं। विभागीय स्तर पर निर्देशित किया गया है कि इस पूरे प्रकरण की पड़ताल 24 घंटे के भीतर पूरी कर विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी जाए।
पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने भी इस प्रकरण को बच्चों की गरिमा और बाल अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन मानते हुए विभागीय प्रमुखों से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने भी पुष्टि की कि उक्त संस्थान में शिक्षकों का व्यवहार प्रशासनिक मानकों से परे बताया गया है। उन्होंने दो टूक कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान को यह अधिकार नहीं है कि वह विद्यार्थियों या उनके परिवार को अपमानित करने या धमकाने का माध्यम बने।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की प्रताड़ना सिर्फ शिक्षा प्रणाली के नाम पर कलंक नहीं है, बल्कि बाल मनोविज्ञान पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालती है। विद्यालय को चेतावनी दी गई है कि यदि जांच में तथ्य पुष्ट होते हैं, तो जिम्मेदारों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा क्षेत्र में शोषण, अपमान और मानसिक दबाव जैसे तत्वों की मौजूदगी एक गहरी चिंता का विषय है। इस पूरे घटनाक्रम ने फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासन के नाम पर यदि किसी शिक्षक का व्यवहार व्यक्तिगत प्रतिशोध या मानसिक दबाव का रूप लेता है, तो वह संपूर्ण शिक्षण व्यवस्था को कलंकित करता है।
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