नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के मौके पर ओडिशा हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है, जिसमें नेताजी को 'राष्ट्रपुत्र' घोषित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता पिनाकपाणी मोहंती ने इस मामले में सरकार से नेताजी के योगदान को पहचानने और 21 अक्टूबर को 'राष्ट्रीय दिवस' के रूप में मनाने की अपील की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। क्या नेताजी को उनके सही सम्मान के रूप में 'राष्ट्रपुत्र' का दर्जा मिलेगा?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में सम्मान दिया जा रहा है, लेकिन इसी बीच एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका ने सबका ध्यान खींचा है। कटक के समाज सेवक पिनाकपाणी मोहंती ने नेताजी को 'राष्ट्रपुत्र' घोषित करने और 21 अक्टूबर को 'राष्ट्रीय दिवस' के रूप में मनाने की मांग के साथ ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। बुधवार को इस याचिका की सुनवाई हुई, जिसमें उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह याचिका उस समय दायर की गई जब नेताजी के गुमशुदा होने के 78 साल बाद भी उन्हें उनके योगदान के अनुरूप सम्मान नहीं मिल पाया है। पिनाकपाणी मोहंती का कहना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में जो भूमिका निभाई, उसकी सराहना पूरी तरह से नहीं की गई है।
नेताजी को 'राष्ट्रपुत्र' बनाने की मांग
मोहंती ने अपनी याचिका में कहा, "नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपार बलिदान दिया है और उनके योगदान को पूरी तरह से सम्मानित किया जाना चाहिए। सरकार को उन्हें भारत का 'राष्ट्रपुत्र' घोषित करना चाहिए।" साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आजाद हिंद फौज की स्थापना की तारीख, 21 अक्टूबर को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
अन्य महत्वपूर्ण मांगें
याचिकाकर्ता ने सिर्फ नेताजी को 'राष्ट्रपुत्र' घोषित करने की मांग नहीं की, बल्कि ओडिआ बाजार स्थित उनके जन्म स्थल संग्रहालय को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की भी प्रार्थना की है। इसके अलावा, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास मौजूद सीक्रेट फाइल्स को भी सार्वजनिक किया जाए और नेताजी के गुमशुदगी के रहस्य का पर्दाफाश करने के लिए जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट को सामने लाने की आवश्यकता जताई है।
क्या होगा अगला कदम?
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी तक के लिए टाल दी है, लेकिन सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश जारी किया है। इस मामले में एक बात तो साफ है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान और उनके सम्मान को लेकर देशभर में आवाज उठ रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस याचिका पर क्या कदम उठाती है और क्या नेताजी को उनके असली सम्मान के साथ ‘राष्ट्रपुत्र’ के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
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