उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सोमवार को एक भीषण बस दुर्घटना में 36 लोगों की जान चली गई। गढ़वाल मोटर ओनर्स एसोसिएशन की ओवरलोड बस, जिसमें 63 यात्री सवार थे, कूपी गांव के पास गहरी खाई में गिर गई। बस के कमानी का पट्टा टूटने की वजह से यह हादसा हुआ। मृतकों में अधिकतर युवा शामिल हैं, जो दीपावली की छुट्टियों के बाद अपने कार्यस्थलों पर लौट रहे थे। इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की।
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में सोमवार को एक भीषण बस हादसा हुआ, जिसमें 36 लोगों की जान चली गई। यह हादसा इतना दर्दनाक था कि इसने ढाई साल पहले हुई धूमाकोट बस दुर्घटना की याद दिला दी, जिसमें 33 जिंदगियां समाप्त हो गई थीं। इस बार हादसा भी ओवरलोडिंग और तकनीकी खामी की वजह से हुआ, लेकिन क्या यह सब इस दुखद घटना को रोका जा सकता था?
ओवरलोड बस की कमानी टूटी, फिर गिरी खाई में
सोमवार सुबह करीब 8 बजे गढ़वाल मोटर ओनर्स एसोसिएशन की एक बस, जो 43 सीटों के लिए थी, 63 यात्रियों से भरी हुई थी। यह बस अल्मोड़ा से करीब 35 किलोमीटर दूर रामनगर की ओर जा रही थी। बस के कूपी गांव के पास पहुंचते ही कुछ यात्रियों ने बस में "खटाक" की आवाज सुनी, और अगले ही पल बस अनियंत्रित होकर 200 मीटर गहरी खाई में गिर गई। यात्रियों ने बताया कि बस के रास्ते में कुछ खराबी थी, जिससे रफ्तार धीमी हो गई थी। अचानक कमानी का पट्टा टूटने की आवाज आई और बस नियंत्रण से बाहर हो गई।
सपनों का अंत: 36 जिंदगियां खत्म
इस हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 28 लोग मौके पर ही मारे गए और 8 ने अस्पताल में दम तोड़ा। मृतकों में 27 पुरुष और 9 महिलाएं शामिल हैं, जबकि इस दुर्घटना में 27 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में अधिकांश लोग युवा थे, जो दीपावली की छुट्टियों के बाद अपने-अपने कामकाजी स्थानों पर लौट रहे थे।
एक पल का ध्यान, और एक जीवन बदल गया
मनोज और चारू अपनी ढाई साल की बेटी शिवानी के साथ रामनगर जा रहे थे, लेकिन इस हादसे में चारू की मौत हो गई। वहीं, 5 साल का मासूम आरव, जो अपने माता-पिता के साथ यात्रा कर रहा था, भी इस दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठा। उसके परिवार के लिए यह हादसा अविश्वसनीय था—एक पल पहले हंसी-खुशी से भरा सफर, और अब खामोशी, गम और आंसुओं में बदल चुका था।
क्या ओवरलोडिंग से बचा जा सकता था हादसा?
स्थानीय अधिकारियों ने पुष्टि की कि बस ओवरलोड थी, और यही इस दुर्घटना का प्रमुख कारण था। अल्मोड़ा-रामनगर हाईवे पर ज्यूखड़ा चौड़ा बैंड के पास यह हादसा हुआ, जहां मोड़ पर बस का नियंत्रण खो बैठा। सरकारी जांच में यह भी सामने आया कि दुर्घटना से पहले बस में एक तेज आवाज आई, जो शायद कमानी के टूटने से हुई थी। क्या अगर बस ओवरलोड नहीं होती, तो हादसा टाला जा सकता था?
सरकारी जांच और राहत घोषणाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की और अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये की सहायता राशि और घायलों को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की।
क्या कोई सुधार होगा?
इस हादसे ने न केवल एक बार फिर से उत्तराखंड के खतरनाक पहाड़ी रास्तों की समस्या को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि ओवरलोडिंग और खराब सड़क स्थितियां कितनी घातक हो सकती हैं। क्या प्रशासन और परिवहन विभाग इस सबक से कुछ सिखेंगे, या फिर इस घटना के बाद भी यात्रियों की सुरक्षा के नाम पर केवल घोषणा ही की जाती रहेगी?
यात्रियों और उनके परिवारों के लिए यह सवाल अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि हर बस यात्रा के साथ वे अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
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