हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकूला औद्योगिक प्लॉट आवंटन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाई कोर्ट में एक बड़ा कदम उठाते हुए उनकी जमानत रद्द करने की मांग की है। ईडी का कहना है कि हुड्डा जमानत की शर्तों का पालन नहीं कर रहे और उनके प्रभावशाली पद के कारण वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही, उनकी गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है।
30 जनवरी को इस मामले की सुनवाई तय की गई है, लेकिन इससे पहले ईडी ने हुड्डा और अन्य आरोपियों की जमानत रद्द करने की अपील की है। ईडी के वरिष्ठ काउंसल अरविंद मोदगिल ने याचिका में आरोप लगाया कि विशेष अदालत द्वारा जमानत देने का आदेश, जो दस्तावेज़ों और तथ्यों के खिलाफ था, पूरी तरह से गलत था। उनका कहना है कि हुड्डा जैसे प्रभावशाली व्यक्ति से गवाहों और सबूतों को प्रभावित किया जा सकता है, जिससे जांच पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
ईडी का तर्क है कि हुड्डा ने अब तक जांच में पूरी तरह सहयोग नहीं किया और यह भी आशंका जताई गई है कि वह जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं। इसके अलावा, उनकी गिरफ्तारी के बाद फरार होने का खतरा भी था।
इस मामले में हुड्डा के अलावा, कुछ नौकरशाहों और उन सभी आवंटियों के खिलाफ भी जांच की जा रही है, जिन्हें हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते औद्योगिक भूखंड दिए गए थे। अब यह देखना होगा कि 30 जनवरी को इस मामले में क्या नया मोड़ आता है और क्या हुड्डा की जमानत रद्द हो पाती है।
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