महाराष्ट्र में 2018 में एक तेज रफ्तार टेंपो द्वारा मोटरसाइकल सवार को टक्कर मारने से हुई गंभीर दुर्घटना के बाद, घायल युवक को न्याय प्राप्त हुआ। ठाणे मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने इस मामले में टेंपो मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से 10.8 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। दुर्घटना के बाद के इलाज और अन्य खर्चों को लेकर याचिकाकर्ता को न्याय मिला, और यह घटना साबित करती है कि सच्चाई और न्याय के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता। जानिए इस मामले के हर पहलू के बारे में।
महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर की सड़कों पर एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब एक तेज रफ्तार टेंपो ने एक मोटरसाइकल सवार को टक्कर मार दी। इस हादसे में घायल हुए 29 वर्षीय युवक को किसी ने न समझा, न उसकी मदद की, लेकिन अब न्याय की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने न सिर्फ एक घायल व्यक्ति को न्याय दिलाया बल्कि यह साबित किया कि सच्चाई कभी न कभी सामने आती है।
किस तरह हुआ हादसा?
यह दुर्घटना उस समय घटी जब याचिकाकर्ता, जो एक मॉल में सेल्सपर्सन के रूप में काम करते थे, अपनी मोटरसाइकल से काम पर जा रहे थे। अचानक एक तेज रफ्तार टेंपो ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मारी। हादसे में उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हालांकि इस दुर्घटना में उनके हेलमेट के बारे में चर्चा की गई, लेकिन कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हेलमेट न पहनने से यह हादसा नहीं हुआ था और इसे उनकी लापरवाही नहीं माना गया।
न्याय का फैसला: 10.8 लाख रुपये का मुआवजा
किस तरह हुआ हादसा?
यह दुर्घटना उस समय घटी जब याचिकाकर्ता, जो एक मॉल में सेल्सपर्सन के रूप में काम करते थे, अपनी मोटरसाइकल से काम पर जा रहे थे। अचानक एक तेज रफ्तार टेंपो ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मारी। हादसे में उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हालांकि इस दुर्घटना में उनके हेलमेट के बारे में चर्चा की गई, लेकिन कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि हेलमेट न पहनने से यह हादसा नहीं हुआ था और इसे उनकी लापरवाही नहीं माना गया।
न्याय का फैसला: 10.8 लाख रुपये का मुआवजा
अब, एक साल से अधिक समय बाद, ठाणे मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने पीड़ित युवक को बड़ी राहत दी है। न्यायाधिकरण ने टेंपो मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से 10.8 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। इसके अलावा, राशि की वसूली तक उन्हें 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी मिलेगा।
मुआवजे का पूरा हिसाब:
न्यायाधिकरण ने दुर्घटना के बाद याचिकाकर्ता के इलाज और अन्य खर्चों का पूरा हिसाब लगाया। इसमें शामिल थे:
- अस्पताल बिल: 5.35 लाख रुपये
- दर्द और पीड़ा के लिए: 3 लाख रुपये
- आय में नुकसान के लिए: 1 लाख रुपये
- अन्य खर्चे: 45,000 रुपये
टेंपो मालिक और बीमा कंपनी पर जिम्मेदारी
न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया कि यदि टेंपो मालिक मुआवजा नहीं देता, तो बीमा कंपनी उसे चुकाएगी और बाद में टेंपो मालिक से यह राशि वसूल करेगी। यह फैसला न सिर्फ पीड़ित के लिए राहत का कारण बना, बल्कि बीमा कंपनियों और वाहन मालिकों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदारी उठानी होती है।
न्याय की जीत और उम्मीद की किरण
इस फैसले ने साबित किया कि न्याय हमेशा देर से ही सही, लेकिन मिलता है। जब तक सच्चाई जिंदा है, तब तक उम्मीद भी रहती है। यह घटना एक उदाहरण बन गई है, जिससे अन्य दुर्घटनाओं के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
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