17 जनवरी, महाकुम्भ नगर: महाकुम्भ प्रयागराज के इस पवित्र स्थल पर शुक्रवार को दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार द्वारा 'भारत की गौरव गाथा बनाम आत्महीनता की भावना' विषयक एक विशाल व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम ने महाकुम्भ के दिव्य आयोजन की सराहना के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों को भी सराहा। लेकिन क्या महाकुम्भ में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ भारत की महिमा का गान करना था, या इससे कहीं ज्यादा एक महत्वपूर्ण संदेश देने की कोशिश थी?
गौरव गाथा पर विश्वास, आत्मविश्वास की ताकत!
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण ने अपने संबोधन में एक कड़ा संदेश दिया: "हम अपनी गौरव गाथा पर विश्वास रखें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमारी आत्महीनता की भावना ही हमें पीछे खींच रही है। असीम अरुण ने बताया कि एक समय था जब भारत का आध्यात्म और अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में अग्रणी थे। भारतीय वस्त्र, मसाले, चीनी, हीरे, जवाहरात और अन्य उत्पाद पूरी दुनिया में बिकते थे। लेकिन आज हम कहां खड़े हैं? इस सवाल का जवाब उनके संबोधन में साफ था – आत्मविश्वास की कमी ने हमें पीछे कर दिया।
भारत के खिलाफ विदेशी साजिश की कहानी!
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने इस कार्यक्रम में एक और रहस्यमय पहलू को उजागर किया। उन्होंने कहा, "हमारे पास विश्वविद्यालय थे, ग्रंथ लिखे जाते थे, लेकिन हम युद्ध में हार गए। और हमारे साथ वही हुआ जो पराजितों के साथ हमेशा होता है – हमारे गुणों को नकारा गया।" उन्होंने भारतीय संस्कृति और शिक्षा की अवमानना करने वाली साजिशों का पर्दाफाश किया और बताया कि कैसे अंग्रेजों ने भारतीयों को अशिक्षित और असभ्य साबित करने के लिए साजिशें कीं।
कुम्भ की धरती, संतों और ऋषियों की भूमि!
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने महाकुम्भ की महत्वता को रेखांकित करते हुए कहा, "यह धरती सज्जनों, संतों और ऋषियों की है। यहां हम सभी से अधिक सेवा की उम्मीद है, ताकि भारत की महान परंपराओं को पूरी दुनिया जान सके और समझ सके।"
दिव्य प्रेम सेवा मिशन का विशाल कदम
इस दिव्य कार्यक्रम की शुरुआत दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. आशीष गौतम भैया जी ने स्वागत भाषण से की। कार्यक्रम में मिशन के संयोजक संजय चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष महेश चंद्र चतुर्वेदी, सह संयोजक राघवेन्द्र सिंह, अवध बिहारी मिश्र सहित कई प्रमुख कार्यकर्ता और गणमान्य लोग मौजूद थे।
क्या इस कार्यक्रम ने महाकुम्भ की धरती से भारत के आत्मविश्वास को फिर से जगाने की पहल की है?
भारत के गौरव को फिर से जीवित करने की यह विशेष कोशिश महाकुम्भ की इस पावन भूमि से उठी, जहाँ संतों, ऋषियों और विचारकों ने मिलकर एक नए आत्मविश्वास की नींव रखने की दिशा में कदम बढ़ाया।