इजरायल और हमास के बीच एक बार फिर युद्धविराम की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। शनिवार को एक समझौते के बाद जिस संघर्ष विराम की उम्मीद जताई जा रही थी, वह अब इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सख्त बयान के बाद एक बार फिर संदिग्ध हो गया है। नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि जब तक हमास बंधकों की सूची इजरायल को नहीं सौंपता, तब तक गाजा में संघर्ष विराम नहीं होगा।
इजरायल की सरकार और हमास के बीच हुए युद्धविराम समझौते को लेकर हालात उलझे हुए हैं। नेतन्याहू के बयान से एक घंटे पहले ही सीजफायर का ऐलान किया गया था, लेकिन अब उनकी सख्त स्थिति से युद्धविराम की संभावना कम होती दिख रही है। नेतन्याहू ने कहा, "जब तक हमें बंधकों की सूची नहीं मिलती, तब तक गाजा में शांति नहीं हो सकती।"
वहीं, हमास ने इस देरी के लिए "तकनीकी कारणों" का हवाला देते हुए संघर्ष विराम की प्रतिबद्धता जताई है। शनिवार को हुए एक समझौते में इजरायली मंत्रिमंडल ने संघर्ष विराम की मंजूरी दी, हालांकि कुछ मंत्रियों ने इसे गलत कदम बताया। इन मंत्रियों का मानना था कि यह कदम हमास के सामने आत्मसमर्पण जैसा है।
गाजा में इजरायली हमले जारी हैं और हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शनिवार को हुए हवाई हमलों में पांच लोग मारे गए और पिछले कुछ दिनों में इजरायली बमबारी में 123 फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है। संघर्ष की शुरुआत 7 अक्टूबर, 2023 को हुई थी, जब हमास ने इजरायल में बड़ी आतंकी हमले को अंजाम दिया था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे और 250 से अधिक को बंधक बना लिया गया था।
अमेरिका और कतर के मध्यस्थता से हुई वार्ता के बाद, एक तीन चरणों में होने वाले समझौते का ऐलान किया गया था, जिसमें पहले चरण में 98 बंधकों को रिहा किया जाना था। इस समझौते में इजरायल अपनी जेलों से लगभग 2,000 फलस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें कई आतंकी भी शामिल हैं।
लेकिन अब, बंधकों की सूची को लेकर विवाद और नेतन्याहू के कड़े रुख ने एक बार फिर युद्धविराम को मुश्किल बना दिया है। क्या संघर्ष विराम की राह आसान होगी? या फिर दोनों पक्षों के बीच यह युद्ध और खूनखराबा बढ़ेगा? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा।
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