गाजियाबाद में गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित गोष्ठी में समाज की एकता और गुरु साहब के बलिदान को याद किया गया। श्री रोहित जी ने धर्म की रक्षा और समाज को जोड़ने का संदेश दिया।
गाजियाबाद के प्रताप विहार स्थित लीलावती पब्लिक स्कूल में आज सिख समाज के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान दिवस के अवसर पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार हरप्रीत सिंह जग्गी ने की, और मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री रोहित जी ने अपने विचार साझा किए।
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान और समाज की एकता का संदेश
कार्यक्रम की शुरुआत में श्री रोहित जी ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन और उनके अद्वितीय बलिदान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि किस प्रकार मुगलों के अत्याचारों के बावजूद गुरु साहब और उनके तीन शिष्यों—भाई मतिदास, भाई सतीदास और भाई दयालाजी—ने अपने धर्म की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति दी। इन महापुरुषों ने इस्लाम धर्म को स्वीकार करने से इंकार किया, जिसके बाद उन्हें निर्ममता से शहीद किया गया। आज दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, उन्हीं की शहादत का प्रतीक है।
समाज में एकता की आवश्यकता
रोहित जी ने कहा कि आज के समय में समाज के कुछ नकारात्मक तत्व हमें बांटने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि सिख समाज और सनातन समाज दोनों ही एक ही परिवार के हिस्से हैं। दोनों के धार्मिक रीतिरिवाज अलग हो सकते हैं, लेकिन दोनों का मूल एक ही है। उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के धार्मिक स्थलों में श्रद्धा भाव से जाना चाहिए और एकता की भावना को प्रबल करना चाहिए। उन्होंने संघ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और बताया कि संघ का उद्देश्य हमेशा से ही समाज को जोड़ना और भाईचारे को बढ़ावा देना है।
बलिदान की भावना का स्मरण करना जरूरी
इस अवसर पर श्री रोहित जी ने यह भी कहा कि हमें ऐसे महान व्यक्तित्वों के बलिदान को न केवल याद रखना चाहिए, बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है। गुरु तेग बहादुर जी जैसे महापुरुषों का बलिदान हमें हर परिस्थिति में अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।
गोष्ठी में शामिल सम्मानित सदस्य
कार्यक्रम में सिख समाज के कई सम्मानित सदस्य मौजूद थे, जिनमें सरदार जुझार सिंह (संरक्षक), सरदार हरजीत सिंह (अध्यक्ष, गुरुद्वारा दशमेश दरबार), सरदार सुखविंदर सिंह (महासचिव, गुरुद्वारा दशमेश दरबार), सरदार प्रीतपाल सिंह, सरदार गुरप्रीत सिंह, सरदार संदीप सिंह, सरदार जोगिंदर सिंह, सरदार रामबीर सिंह, सरदार हरविंदर सिंह, अमित बग्गा और यशपाल भोली सहित कई अन्य समाज के सदस्य शामिल थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे, जिनमें प्रदीप जी, जितेंद्र जी, अमरदीप जी, शिवकुमार जी, सर्वेश जी, ललित शंकर, अशोक जी, राजीव जी, परविंदर जी, यतेंद्र जी सहित अन्य समाज के बंधु और माताएं-बहनें शामिल थीं।
यह कार्यक्रम सिख समाज और अन्य धार्मिक समुदायों के बीच भाईचारे और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
समाज को जोड़ने का संकल्प
इस गोष्ठी ने यह संदेश दिया कि हमें अपनी धार्मिक विविधताओं को समझते हुए, एक दूसरे के साथ मिलकर समाज की एकता और अखंडता के लिए काम करना चाहिए। संघ का उद्देश्य हमेशा यही रहा है कि हम सब एकजुट होकर समाज की सेवा करें और धर्म, संस्कृति के प्रति अपनी निष्ठा को मजबूत करें।